सर्दियों के मौसम में बढ़ जाती है गजक की डिमांड...यहां से विदेश तक होती सप्लाई, 4 पीढ़ियों से बरकरार स्वाद
सर्दी की दस्तक के साथ ही इसका असर बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। लोगों के खान-पान की आदतों में बदलाव देखा जा रहा है. अब बाजारों में गर्म खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में बिकने लगे हैं। तो अब भरतपुर के बयाना नगर की मशहूर गजक की डिमांड भी बढ़ने लगी है. अब तो बाजारों में हर जगह गजक और मूंगफली ही नजर आती है।

सर्दी की दस्तक के साथ ही इसका असर बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। लोगों के खान-पान की आदतों में बदलाव देखा जा रहा है. अब बाजारों में गर्म खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में बिकने लगे हैं। तो अब भरतपुर के बयाना नगर की मशहूर गजक की डिमांड भी बढ़ने लगी है. अब तो बाजारों में हर जगह गजक और मूंगफली ही नजर आती है।
शाम होते ही लोग इसका स्वाद चखने के लिए बाजार में आने लगते हैं। जहां वे अलाव के सहारे इनका स्वाद ले रहे हैं. क्योंकि अब ठंड का असर लोगों के खाने के स्वाद में भी बदलने लगा है.बाजारों में गर्म खाने की बिक्री काफी हद तक बढ़ गयी है. वहीं लोग गजक का स्वाद चखने के लिए बाजारों में उमड़ रहे हैं.
गजक निर्माता मनोज अग्रवाल ने बताया कि सर्दी के मौसम में तिल और गुड़ चीनी से बनी गजक की सबसे ज्यादा मांग रहती है. हमारी गजक खाने में बहुत कुरकुरी और स्वादिष्ट होती है इसे कूट कर बनाया जाता है. जिसे कुटेमा गजक के नाम से भी जाना जाता है. सर्दियों में लोगों की दिनचर्या में बदलाव आ जाता है। क्योंकि सर्दी का मौसम ही स्वाद और खाने पर असर डालता है. अब ठंड बढ़ने के कारण लोग अपने खान-पान में भी बदलाव कर रहे हैं। अब लोगों की नाश्ते से लेकर रात के खाने तक की मांग बढ़ती जा रही है।
लोग गर्म स्वाद वाली सब्जियों का भी अधिक उपयोग करने लगे हैं। गजक बनाने वाले मनोज अग्रवाल ने कहा कि कूटने का हमारा पुश्तैनी काम अद्भुत है। क्योंकि हमारे पूर्वज भी गजक मारते थे और हम भी गजक मारने का यही काम करते हैं। हम लगभग तीसरी पीढ़ी से यह काम कर रहे हैं.
हमारी गजक बहुत मशहूर है. जो न केवल गुजरात, दिल्ली, मुंबई, जयपुर बल्कि विदेशों तक भी जाते हैं। हमारी इस गजक का नाम भी हमारे बाबा मटरुआ के नाम पर है. जिन्होंने यह बिजनेस शुरू किया. हमारी ये मेहनत दो से ढाई महीने तक चलती है. जिससे 12 से 13 क्विंटल गजक बनती है. बाजारों में हमारे गजक की कीमत रु. 300 से रु. 500 तक है.
तिल की गजक कैसे बनाये
तिल की गजक बनाने के लिए सबसे पहले तिल को धीमी आंच पर भून लिया जाता है. इसके बाद गुड़ और चीनी से चाशनी बनाई जाती है. और जब तक चाशनी पक न जाये. चाशनी के काला होने तक पकने के बाद उसे फर्श पर फैला दिया जाता है. जब चाशनी ठंडी हो जाए. फिर इसे ठंडा करके निकाला जाता है. - इसके बाद एक पैन में तिल और चीनी की चाशनी डालकर मिला लें.
मिलाने के बाद इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है. टुकड़ों में काटने के बाद उन टुकड़ों को आगे गजक क्रशर पर भेजा जाता है. गजक को लकड़ी के हथौड़े से कूटने वाले लोग गजक को कूटते हैं। गजक गोलाकार आकार में बनाई जाती है. जब यह गोल हो जाए तो इसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें। जब यह पूरी तरह से ठंडा हो जाए. इसलिए इसे बक्सों में पैक करके बाजारों में दुकानों पर भेजा जाता है।