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बेहद खास है खोया और छेना से बना जलेबी, 3 घंटे में हो जाती है खत्म, 50 साल पुराना है स्वाद

बिहार में आपको खाने के लिए कई स्वादिष्ट चीजें मिल जाएंगी. यहां नमकीन से लेकर मीठे तक के स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध हैं. प्रत्येक स्थान की अपनी अनूठी विशेषताएँ होती हैं। वहीं, खाने के मामले में बिहार का छपरा जिला किसी से पीछे नहीं है। यहां आपको स्ट्रीट फूड से लेकर हर तरह के व्यंजन बेहतर स्वाद के साथ खाने के लिए मिलेंगे।

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बेहद खास है खोया और छेना से बना जलेबी, 3 घंटे में हो जाती है खत्म, 50 साल पुराना है स्वाद

बिहार में आपको खाने के लिए कई स्वादिष्ट चीजें मिल जाएंगी. यहां नमकीन से लेकर मीठे तक के स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध हैं. प्रत्येक स्थान की अपनी अनूठी विशेषताएँ होती हैं। वहीं, खाने के मामले में बिहार का छपरा जिला किसी से पीछे नहीं है। यहां आपको स्ट्रीट फूड से लेकर हर तरह के व्यंजन बेहतर स्वाद के साथ खाने के लिए मिलेंगे।

बेहद खास है खोया और छेना से बना जलेबी, 3 घंटे में हो जाती है खत्म, 50 साल पुराना है स्वाद

आज हम आपको छपरा में मिलने वाली एक मशहूर मिठाई के बारे में बताने जा रहे हैं. जो खोया और छेना से तैयार किया जाता है. जिसकी मांग छपरा और आसपास के जिलों में भी है. जी हां, हम बात कर रहे हैं बेहद खास मीठी जलेबी की। यहां की जलेबी सबसे अलग है. इस खास जलेबी को खाने के लिए जिला मुख्यालय छपरा के नगरपालिका चौक आना होगा. यह दुकान 30 साल पुरानी है और मौना के रहने वाले सुनील कुमार खोया और छेना से विशेष जलेबी बनाते हैं और लोगों को खिलाते हैं।

खोया और छेने से बनी जलेबी बहुत खास होती है

सुनील ने बताया कि इस जलेबी को बनाने में खोवा और छेना मिलाया जाता है. इस जलेबी को बनाना भी बहुत आसान है. आप चाहें तो इस जलेबी को घर पर भी बना सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले एक पैन या बर्तन में दूध गर्म करें और उसमें से चने निकाल लें. इसी तरह इससे छुटकारा पाने के लिए दूध को उबाला भी जा सकता है. छेना और खोया तैयार करने के बाद इसमें हल्का आटा, सोडा, इलायची और जायफल डालकर मिलाएं. इसके बाद इसे पहले गर्म तेल में तला जाता है. इस तरह खोया और छेना से जलेबी तैयार की जाती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक सुनील कुमार की बनाई जलेबी की कोई तुलना नहीं है. इनकी जलेबी की डिमांड दूर-दूर तक है.

तीन घंटे में जलेबी के 250 पीस तैयार हो जाते हैं

बेहद खास है खोया और छेना से बना जलेबी, 3 घंटे में हो जाती है खत्म, 50 साल पुराना है स्वाद
सुनील कुमार ने बताया कि खोया और छेना से बनी जलेबी का उत्पादन अधिक मात्रा में नहीं होता है. ग्राहकों की मांग के अनुसार जलेबियां बनाई जाती हैं. सिर्फ दो से तीन घंटे में 200 से 250 पीस जलेबी तैयार हो जाती है. प्रतिदिन शाम 6 बजे से 9 बजे तक नगरपालिका चौक पर स्टॉल लगाया जाता है और लोगों को जलेबी के साथ छेना की मिठाई खिलायी जाती है. यह दुकान 50 साल पुरानी है और इसे पहले मेरे पिता चलाते थे और अब वह खुद ही इसे संभालते हैं। उपभोक्ताओं को जलेबी का एक टुकड़ा 10 रुपये में परोसा जाता है जबकि इसे 300 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है। सुनील ने बताया कि रेट कम रखने के पीछे वजह ये है कि यहां की जलेबी बहुत मशहूर है और हर वर्ग के लोग इसे खाने आते हैं. खाने के अलावा लोग इसे पैक करके भी ले जाते हैं। इसलिए वे सबका ख्याल रखते हुए कम मुनाफा होने के बावजूद लोगों को देते हैं। वहीं, रोजाना रु. 3 हजार से ज्यादा बिक चुके हैं.