शहर में सर्दी के मेवे की बहार, जोधपुर, गुजरात व चौमु से आ रहीं मूंगफली, बाजार में बढ़ी डिमांड

प्रदेश में सर्दी की शुरूआत हो चुकी है। इसके साथ ही लोग गर्म प्रकृति वाली चीजों की ओर रुख करने लगे हैं। गर्म तत्व का नाम आते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहली चीज जो आती है वह है मूंगफली। जो आजकल शहर में कई जगहों पर देखने को मिल रहा है. दूसरे जिलों से आए प्रवासी अलवर शहर में ठेलों और सड़क किनारे ठेलों पर मूंगफली बेच रहे हैं। अलवर शहर में कई जगहों से मूंगफली आती है. लेकिन सर्दी शुरू होते ही चौमू और जोधपुर से मूंगफली की आवक शुरू हो जाती है। इसके बाद धीरे-धीरे दूसरे राज्यों से मूंगफली आनी शुरू हो गई है।
अलवर शहर के जेल सर्किल पर मूंगफली की दुकान लगाने वाले रोहित ने बताया कि सर्दियों के साथ ही मूंगफली की आवक शुरू हो जाती है. इसे गरीबों का मेवा भी कहा जाता है. अलवर शहर में जगह-जगह मूंगफली की दुकानें लग गई हैं. शुरुआत में मूंगफली जोधपुर और चोमू से आती है। इसके बाद सर्दी बढ़ने पर मूंगफली की आय भी बढ़ जाती है। रोहित ने बताया कि अलवर में अलग-अलग जगहों से मूंगफली आती है. जिसमें डोसा, जोधपुर, चोमू और गुजरात शामिल हैं। इस समय मूंगफली की मांग काफी अच्छी है। इसकी कीमत के बारे में रोहित ने बताया कि इसकी कीमत 80 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है. तो फिलहाल मूंगफली की कीमत 130 से 170 रुपये प्रति किलो है. इसका मौसम अक्टूबर से फरवरी तक होता है। जहां कई लोग इस व्यवसाय को अपनाकर अलवर व अन्य स्थानों पर जाकर दुकान लगाते हैं। इससे उनकी आजीविका चलती है।
यूपी से व्यापारी अधिक आते हैं
मूंगफली बेचना अब लोगों की आजीविका का जरिया बन गया है। इनमें से अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश राज्य से हैं। जहां पर कई वर्षों से बिजनौर,अमरोहा,मुरादाबाद,आजमगढ़,संभल,बलिया,बरेली से लोग अलवर जिले में आकर मूंगफली लगाते आ रहे हैं। अब तो उनकी जगह तय हो चुकी है. जहां वह हर साल मूंगफली की दुकान लगाते हैं। मूंगफली बेच रहे रोहित ने बताया कि दुकान में सबसे ज्यादा मांग कच्ची मूंगफली की है. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग कच्ची मूंगफली साथ लेकर जाते हैं और उसे घर पर भूनते हैं. हालाँकि, धीमी गति से भुनी हुई मूंगफली का स्वाद अलग होता है।