क्रीम बिस्किट: बचपन की यादें या सेहत का खतरा?

क्रीम बिस्किट की सच्चाई
क्रीम बिस्किट बचपन की मीठी यादों का एक अहम हिस्सा हैं। स्कूल के टिफिन से लेकर शाम की चाय तक, इन बिस्किटों के बीच की क्रीम कई परिवारों की खुशी का कारण थी। लेकिन हाल ही में एक वायरल वीडियो ने इन बिस्किटों की असलियत को उजागर कर दिया है।
इस वीडियो में बताया गया है कि इन बिस्किटों में जो 'क्रीम' होती है, वह असल में क्रीम नहीं है। यह एक विशेष प्रकार के हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल फैट, जिसे 'डालडा' कहा जाता है, चीनी, प्रिज़र्वेटिव्स और आर्टिफिशियल फ्लेवरिंग्स का मिश्रण है। इसे एक मोटे पेस्ट के रूप में तैयार किया जाता है, जो न तो दूध से बना होता है और न ही इसका कोई पोषण मूल्य होता है। वीडियो में कहा गया है, "याद रखें, अगली बार जब आप इसे खाएं।"
सस्ते स्नैक्स, लेकिन सेहत के लिए महंगे सौदे
कम कीमत वाले खाद्य पदार्थों में मिलावट की संभावना अक्सर होती है, और अब क्रीम बिस्किट भी इस श्रेणी में शामिल हो गए हैं। इन बिस्किटों के निर्माण में सस्ते तेलों और फैट्स का उपयोग किया जाता है, जिससे स्वाद तो बना रहे, लेकिन लागत कम आए। हालांकि, इसका खामियाजा उपभोक्ताओं की सेहत को भुगतना पड़ता है। इन फैट्स का अधिक सेवन मोटापे, दिल की बीमारियों और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
प्रमुख ब्रांड्स भी इस झूठ से नहीं बचे
कुछ प्रमुख ब्रांड्स जैसे ब्रिटानिया मिल्क बिकिस, पार्ले बॉर्बन और ओरियो की सामग्री की जांच की गई। इनमें कहीं भी असली डेयरी क्रीम नहीं पाई गई। उदाहरण के लिए, मिल्क बिकिस में मैदा, शक्कर, पाम ऑयल और मिल्क सॉलिड्स शामिल हैं, लेकिन 'क्रीम' जैसी कोई असली चीज़ नहीं है। इसी तरह, बॉर्बन और ओरियो में भी पाम ऑयल, आर्टिफिशियल कलर और फ्लेवरिंग का उपयोग किया गया है।
स्वाद के पीछे छिपा सेहत का खतरा
बचपन की यादों में बसी इन क्रीम बिस्किटों का स्वाद आज भी आकर्षित करता है, लेकिन अब जब इनकी असलियत सामने आ गई है, तो हमें सचेत रहना चाहिए। इन बिस्किटों का सेवन पूरी तरह से बंद करना जरूरी नहीं है, लेकिन इन्हें रोजाना खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। खासकर बच्चों को यह सोचकर खिलाना कि वे दूध से बनी चीज़ खा रहे हैं, एक भ्रम है, जिसे तोड़ना आवश्यक है।