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महंगाई में कमी: खाने-पीने की चीजों की लागत में राहत

हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि महंगाई में कमी आई है, जिससे खाने-पीने की चीजों की लागत में राहत मिली है। CRISIL की रिपोर्ट के अनुसार, मई में शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमतों में गिरावट आई है। यह गिरावट खाद्य मुद्रास्फीति के ठंडा पड़ने के कारण हुई है। जानें इस बदलाव का आपके बजट पर क्या असर पड़ सकता है और कैसे यह आपके दैनिक खर्चों को प्रभावित कर सकता है।
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महंगाई में कमी: खाने-पीने की चीजों की लागत में राहत

खाने-पीने की लागत में गिरावट

हाल ही में आम जनता के लिए एक सकारात्मक समाचार आया है। पिछले कुछ समय से महंगाई ने लोगों के बजट पर भारी दबाव डाला था, विशेषकर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि चिंता का विषय बन गई थी। लेकिन अब राहत की एक किरण दिखाई दे रही है। रेटिंग एजेंसी CRISIL की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, मई महीने में घर पर बनने वाली शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की लागत में कमी आई है। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के ठंडा पड़ने के कारण हुई है। सरल शब्दों में कहें तो, खाने-पीने की कुछ आवश्यक सामग्रियों की कीमतों में कमी आई है, जिसका सीधा असर हमारे रसोई के खर्च पर पड़ा है।
CRISIL की रिपोर्ट में बताया गया है कि मई में शाकाहारी थाली की कीमत में पिछले महीने की तुलना में गिरावट आई है। इसमें दालों, सब्जियों (विशेष रूप से टमाटर, प्याज, आलू जैसी मुख्य सब्जियों) और अनाज की कीमतों में कमी का योगदान रहा। इसी तरह, मांसाहारी थाली की लागत भी कम हुई है। मांसाहारी थाली में शाकाहारी सामग्री के साथ-साथ चिकन की कीमत भी शामिल होती है। रिपोर्ट के अनुसार, चिकन की कीमतों में स्थिरता या मामूली गिरावट ने मांसाहारी थाली को सस्ता करने में मदद की है, साथ ही शाकाहारी सामग्री की कीमतों में कमी का लाभ भी इसे मिला है। यह कमी सीधे तौर पर घरों के बजट पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। दैनिक भोजन की लागत कम होने से परिवारों को कुछ वित्तीय राहत मिलती है। यह संकेत देता है कि सरकार और RBI द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम अब असर दिखाना शुरू कर रहे हैं।