19 मिनट वीडियो धोखाधड़ी: साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की चेतावनी
साइबर धोखाधड़ी का नया तरीका
नई दिल्ली: इंटरनेट पर चलने वाले ट्रेंड्स अक्सर जिज्ञासा को बढ़ाते हैं, लेकिन कभी-कभी यह जिज्ञासा गंभीर नुकसान का कारण बन सकती है। हाल ही में चर्चा में आया '19 मिनट वीडियो' भी इसी तरह का एक मामला है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस वीडियो की खोज में लोग धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के बीच ठग तकनीक का इस्तेमाल कर मोबाइल, लैपटॉप और बैंक खातों तक पहुंच बना रहे हैं।
'19 मिनट वीडियो' का धोखाधड़ी में उपयोग
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, '19 मिनट वीडियो' या '19 मिनट 34 सेकंड क्लिप' जैसे कीवर्ड तेजी से खोजे जा रहे हैं। इसी ट्रेंड का लाभ उठाकर अपराधी फर्जी लिंक फैला रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि लिंक पर क्लिक करते ही वीडियो मिल जाएगा, जबकि असल में किसी प्रमाणिक वीडियो का कोई सबूत नहीं है।
लिंक पर क्लिक करने पर क्या होता है?
जब यूजर इन संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक करता है, तो उनके डिवाइस में मालवेयर इंस्टॉल हो सकता है। यह सॉफ्टवेयर बैंकिंग ऐप्स की जानकारी, ओटीपी और पासवर्ड चुरा लेता है। कई मामलों में लोगों ने बताया कि लिंक खोलने के कुछ समय बाद उनके खातों से बिना अनुमति पैसे निकल गए।
फर्जी अकाउंट और पैसे की मांग
ठग केवल लिंक तक सीमित नहीं हैं। सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर यह दावा किया जा रहा है कि उनके पास “पूरा वीडियो” मौजूद है। कुछ यूजर्स से पैसे मांगे जा रहे हैं, जबकि कुछ को शॉर्ट यूआरएल भेजे जाते हैं, जो फिशिंग वेबसाइट या जासूसी ऐप डाउनलोड करवा देते हैं।
आर्थिक नुकसान और कानूनी खतरे
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की सामग्री को शेयर करना कानूनन अपराध है। आईटी एक्ट की धारा 67 और 67A के तहत अश्लील या यौन सामग्री फैलाने पर जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा आईपीसी की कई धाराएं भी ऐसे मामलों में लागू हो सकती हैं।
सुरक्षित रहने के उपाय
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी वायरल वीडियो से जुड़े अनजान लिंक पर क्लिक न करें। यदि गलती से क्लिक हो जाए, तो तुरंत बैंक पासवर्ड बदलें, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करें और एंटीवायरस अपडेट करें। इसके साथ ही संदिग्ध अकाउंट्स की रिपोर्ट करना बेहद जरूरी है।
