ISKCON चंडीगढ़ में वैदिक दीक्षा समारोह: 450 भक्तों को मिलेगा हरिनाम
ISKCON चंडीगढ़ में दीक्षा समारोह का आयोजन
बुधवार और गुरुवार को इस्कॉन चंडीगढ़ में भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज की उपस्थिति में एक विशेष दीक्षा समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर 450 व्यक्तियों को दीक्षा दी जाएगी। इसमें शामिल होने वाले सभी लोग 12 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं, जिनमें बच्चे, महिलाएं, पुरुष, कुंवारे और विवाहित लोग शामिल हैं।
दीक्षा की प्रक्रिया और महत्व
ISKCON चंडीगढ़ के मीडिया निदेशक अकिंचन प्रिय दास ने बताया कि दीक्षा केवल उन लोगों को दी जाती है जिन्होंने यहां दो से पांच वर्षों तक शिक्षाएं ली हैं। इस्कॉन की प्राधिकृत संस्थाएं इन भक्तों की साधना और प्रतिबद्धता की निगरानी करती हैं।
उन्होंने कहा कि सुबह 8 बजे भक्ति आश्रय वैष्णव स्वामी महाराज दीक्षा के महत्व पर प्रकाश डालेंगे। इसके बाद, सभी दीक्षा लेने वाले भक्तों के नाम लेकर भगवान और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में वचन लिया जाएगा।
आध्यात्मिक नाम और यज्ञ
दीक्षा लेने वालों को उनके आध्यात्मिक नाम दिए जाएंगे। इसके बाद, स्वामी महाराज स्वयं महामंत्र की माला सभी को प्रदान करेंगे। इसके बाद एक यज्ञ का आयोजन होगा और सभी को प्रसाद वितरित किया जाएगा।
वैष्णव जीवन का वचन
ISKCON में 'हरिनाम' दीक्षा प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका अर्थ है किसी अनुभवी वैष्णव से हरे कृष्ण मंत्र प्राप्त करना और प्रतिदिन इसका जाप करने का वचन देना। यह भी सुनिश्चित करता है कि भक्त हरे कृष्ण मंत्र के प्रति किसी भी अपराध से बचें।
इसका मतलब है कि भक्त को अपनी आध्यात्मिक साधना में गंभीर रहना होगा और बुरी आदतों से दूर रहना होगा।
चार नियमों का पालन
दीक्षा एक गंभीर प्रक्रिया है जिसमें कई नियम और विनियम शामिल हैं। इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। दीक्षा लेने के लिए, व्यक्ति को दो से पांच वर्षों तक नियमों का पालन करना होता है।
उन्हें मांस, जुआ, नशा और अवैध संबंधों से दूर रहना होता है, साथ ही दिन में 16 माला (108 मनकों की माला) हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करना होता है। इसके अलावा, दीक्षा के लिए एक लिखित परीक्षा और साक्षात्कार भी होता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से, भक्त शुद्ध आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं और भक्ति के अभ्यास में दृढ़ता और आस्था पाते हैं।
