PGIIMS में अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए रिसर्च में भागीदारी का नया अवसर

PGIIMS का नया रिसर्च कार्यक्रम
PGIIMS, रोहतक: रोहतक स्थित PGIIMS ने रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब अंडरग्रेजुएट (यूजी) कक्षाओं के छात्र-छात्राएं भी शोध में भाग ले सकेंगे। वे न केवल स्वतंत्र रूप से अनुसंधान करेंगे, बल्कि पोस्टग्रेजुएट (पीजी) छात्रों के सहायक के रूप में भी कार्य कर सकेंगे। खास बात यह है कि यूनिवर्सिटी रिसर्च के दौरान उनके खर्च के लिए 30,000 रुपये या आवश्यकता के अनुसार अधिक राशि प्रदान करेगी। इस पहल से यूजी छात्रों को प्रारंभिक स्तर से ही रिसर्च के लिए प्रेरित किया जाएगा।
रिसर्च का महत्व
रिसर्च बीमारियों के बदलते प्रभावों को समझने और नई उपचार तकनीकों के विकास का सबसे प्रभावी तरीका है। PGIIMS ने इसे गंभीरता से लिया है और यूजी छात्रों को रिसर्च में शामिल करने का निर्णय लिया है। छात्रों के समूह बनाए जाएंगे, जिन्हें विशेष विषय दिए जाएंगे। फैकल्टी उनकी सहायता से विषय चयन और अनुसंधान के दौरान मार्गदर्शन करेगी। यूजी छात्र पीजी छात्रों के साथ मिलकर रिसर्च में योगदान दे सकेंगे। यह व्यवस्था छात्रों में रिसर्च के प्रति रुचि बढ़ाने और नई खोजों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है।
प्रपोजल की समय सीमा बढ़ाई गई
PGIIMS की मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट के प्रमुख डॉ. संजय ने बताया कि डॉक्टरों और फैकल्टी को रिसर्च प्रपोजल जमा करने के लिए पहले 9 सितंबर तक का समय दिया गया था, जिसे अब बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया है। प्रपोजल में यह स्पष्ट करना होगा कि रिसर्च का विषय क्या है, इससे क्या साबित करना चाहते हैं, कौन सी नई जानकारी शामिल होगी, और पुरानी तकनीक में क्या नया जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही, रिसर्च से मरीजों के इलाज में क्या बदलाव आएगा, यह भी बताना होगा। रिसर्च का पूरा खर्च यूनिवर्सिटी उठाएगी।
रिसर्च से मरीजों को लाभ
इस नई व्यवस्था का उद्देश्य न केवल छात्रों को रिसर्च के लिए प्रेरित करना है, बल्कि मरीजों के इलाज में सुधार लाना भी है। रिसर्च के माध्यम से नई तकनीकों और उपचारों की खोज की जाएगी, जो मेडिकल क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। PGIIMS का यह कदम युवा प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में सहायक होगा।