SSC परीक्षा में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का मामला: 13 पर FIR दर्ज

SSC परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा
SSC परीक्षा में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का मामला: 13 पर FIR दर्ज (फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र मामला) कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की नॉर्थ जोन परीक्षा में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जो अब उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा प्रस्तुत स्टेटस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 13 उम्मीदवारों ने दिव्यांगता के नकली प्रमाणपत्रों का उपयोग कर परीक्षा में विशेष सुविधाएं प्राप्त की थीं। (SSC exam fraud)
जाली दस्तावेजों का उपयोग
इन अभ्यर्थियों में से कई ने परीक्षा में अतिरिक्त समय और स्क्राइब की सुविधा लेने के लिए जाली दस्तावेज पेश किए थे। यह मामला “साहिल और अन्य बनाम कर्मचारी चयन आयोग (North Western Region)” से संबंधित है। (Sahil vs SSC case)
हरियाणा के युवकों पर तीन साल का प्रतिबंध
हरियाणा के युवकों पर तीन साल का बैन SSC exam fraud
हरियाणा राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, करनाल रेंज के अधीक्षक बी.एस. सांगवान ने अदालत में हलफनामा पेश करते हुए बताया कि इनमें से छह याचिकाकर्ताओं के प्रमाणपत्र पूरी तरह से नकली पाए गए हैं। विशेष रूप से सोनीपत और कैथल के युवकों ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए थे। (SSC cheating Haryana)
कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज
इन युवकों को SSC ने तीन साल के लिए परीक्षा में बैठने से प्रतिबंधित कर दिया है, हालांकि उन्होंने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। जांच में यह भी सामने आया कि जिन चिकित्सा अधिकारियों के नाम प्रमाणपत्रों पर थे, उन्होंने ऐसे कोई दस्तावेज जारी नहीं किए थे। (SSC exam ban candidates)
जांच जारी
कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज, जांच जारी
कोर्ट के निर्देश पर अब इन 13 उम्मीदवारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। SSC ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। चंडीगढ़ प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा सुनियोजित तरीके से किया गया था। (SSC exam fake certificate FIR)
परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल
SSC ने अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचें। वहीं, कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह मामला न केवल परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कुछ लोग लाभ पाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या अंतिम निर्णय सुनाता है।