Newzfatafatlogo

गर्मियों में शीतली प्राणायाम: तन और मन को ठंडा रखने का सरल उपाय

गर्मी के मौसम में शीतली प्राणायाम एक प्रभावी उपाय है जो तन और मन को ठंडा रखने में मदद करता है। यह प्राणायाम न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि पाचन संबंधी समस्याओं में भी राहत प्रदान करता है। जानें इसे करने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ।
 | 
गर्मियों में शीतली प्राणायाम: तन और मन को ठंडा रखने का सरल उपाय

गर्मी में शीतली प्राणायाम का महत्व

नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में गर्मी का प्रकोप जारी है, जिसमें चिलचिलाती धूप और उमस शामिल हैं। ऐसे में, प्राणायाम एक प्रभावी उपाय है जो तन और मन को ठंडा रखने में मदद करता है। विशेष रूप से, शीतली प्राणायाम गर्मियों में अत्यधिक लाभकारी साबित होता है।


शीतली प्राणायाम का नाम ही इसके लाभ को दर्शाता है, क्योंकि यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है। यह एक सरल योगिक श्वास तकनीक है, जिसमें जीभ को गोल आकार में मोड़कर या नलिका की तरह बनाकर हवा को अंदर खींचा जाता है। यह प्रक्रिया शरीर में ठंडक लाती है और सांस को नियंत्रित करती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे रोजाना 5 से 10 मिनट करने की सलाह देते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।


इस प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से कई फायदे होते हैं। यह शरीर को ठंडा रखता है और लू से बचाता है। इसके अलावा, यह तनाव और चिंता को कम करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।


शीतली प्राणायाम पेट की गर्मी को भी कम करता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, वात, कच्ची डकार और एसिडिटी में राहत मिलती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।


भारत सरकार का आयुष मंत्रालय शीतली प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देता है। इसे रात को सोने से पहले करने से बेहतर नींद आती है और यह त्वचा को भी चमकदार बनाता है।


विशेषज्ञों का कहना है कि शीतली प्राणायाम करना बहुत आसान है। इसके लिए सुबह खाली पेट एक शांत स्थान पर बैठें, जीभ को मोड़कर हवा अंदर लें, कुछ सेकंड सांस रोकें और फिर नाक से धीरे-धीरे छोड़ें। इसे 5 से 10 बार दोहराना चाहिए।


गर्मियों में शीतली प्राणायाम एक प्राकृतिक और सरल तरीका है जो तन और मन को ठंडा रखता है। हालांकि, इसे करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्मियों में यह प्राणायाम ठीक है, लेकिन सर्दियों में इसे कम करना चाहिए। सर्दी-जुकाम या दमा के रोगियों को इसे करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।