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गाजियाबाद में फर्जी दूतावास मामले में हर्षवर्धन जैन के नए खुलासे

गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार हर्षवर्धन जैन ने पुलिस के सामने कई बड़े नामों का खुलासा किया है। उसकी धोखाधड़ी की गतिविधियाँ दुबई से शुरू हुई थीं, और अब STF उन नामों की जांच कर रही है जो इस मामले में शामिल हो सकते हैं। जैन ने विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर एक बड़ा नेटवर्क स्थापित किया था। जानें इस मामले की पूरी कहानी और जैन के द्वारा किए गए खुलासे।
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गाजियाबाद में फर्जी दूतावास मामले में हर्षवर्धन जैन के नए खुलासे

गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का मामला

गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार हर्षवर्धन जैन के बारे में पुलिस ने कई नए तथ्य उजागर किए हैं। पूछताछ के दौरान, जैन ने कुछ महत्वपूर्ण नामों का खुलासा किया है, जिनकी जांच के लिए STF की टीमें सक्रिय हैं। ये नाम दुबई से जुड़े हुए हैं, जहां से जैन ने अपनी धोखाधड़ी की गतिविधियों की शुरुआत की थी। पुलिस अब दुबई कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है, क्योंकि जैन के पास ऐसे दस्तावेज हैं जो करोड़ों की धोखाधड़ी में शामिल नए नामों को उजागर कर सकते हैं।


विदेशों में नौकरी दिलाने का धंधा

हर्षवर्धन जैन 2006 में अपने चचेरे भाई के पास दुबई गया था, जहां उसने कई भारतीयों से संपर्क किया। उसने शफीक और इब्राहिम नामक व्यक्तियों के साथ मिलकर विदेशों में नौकरी दिलाने का धंधा शुरू किया। इन तीनों ने मिलकर कई कंपनियाँ बनाई और उन लोगों से संपर्क किया जो विदेशों में काम करना चाहते थे।


धोखाधड़ी के नेटवर्क का विस्तार

जैन ने शफीक और इब्राहिम की मदद से दुबई में एक मजबूत नेटवर्क स्थापित किया और इसके बाद गल्फ और अफ्रीकी देशों में भी अपनी गतिविधियाँ बढ़ाईं। 2011 में, वह भारत लौट आया और फिर से धोखाधड़ी के नए तरीके अपनाने लगा। उसने 2012 में SEBORGA नामक माइक्रोनेशन का एडवाइजर बनने का दावा किया और बाद में वेस्ट आर्कटिका का अवैतनिक राजदूत बन गया। इसके बाद, उसने कई कंपनियों और व्यक्तियों से पैसे लेकर धोखाधड़ी करना शुरू कर दिया। अब STF उसकी गतिविधियों की गहराई से जांच कर रही है।