चीन ने भारत के ईवी सब्सिडी पर डब्ल्यूटीओ में की शिकायत

भारत-चीन व्यापार घाटा और ईवी सब्सिडी विवाद
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच व्यापार में भारी असंतुलन देखने को मिल रहा है, जिसमें चीन भारत को सबसे अधिक सामान बेचता है। इस व्यापार के कारण भारत को सालाना एक सौ अरब डॉलर का घाटा उठाना पड़ता है, जो लगभग नौ लाख करोड़ रुपए के बराबर है। इसके बावजूद, चीन ने भारत की सब्सिडी को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत दर्ज कराई है।
चीन ने बुधवार को डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ औपचारिक शिकायत की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार द्वारा दी जा रही भारी सब्सिडी से घरेलू कंपनियों को अनुचित लाभ मिल रहा है। चीन का कहना है कि इससे भारतीय बाजार में चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य उत्पादों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
चीन ने केवल शिकायत ही नहीं की, बल्कि भारत को चेतावनी भी दी है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह अपने उद्योगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने के लिए तैयार है। उल्लेखनीय है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सबसे अधिक सब्सिडी दी जा रही है। सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माताओं और खरीदारों दोनों को सब्सिडी प्रदान कर रही है।
भारत में कई उत्पादों पर सब्सिडी की दर 50 प्रतिशत से अधिक है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर कम है, और पेट्रोल व डीजल वाहनों की तुलना में इन पर कम रोड टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा, कंपनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत भी सहायता मिलती है। भारत सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी सब्सिडी दे रही है।
‘पीएम ई ड्राइव’ योजना के तहत, केंद्र सरकार सार्वजनिक फास्ट चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण का 80 प्रतिशत खर्च उठाने को तैयार है। कुछ मामलों में यह सब्सिडी 100 प्रतिशत तक भी हो सकती है। हालांकि, इतनी सब्सिडी के बावजूद, भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री धीमी है, और वर्तमान में ईवी की बाजार हिस्सेदारी केवल 2 प्रतिशत है।