डोनाल्ड ट्रंप को जर्मन चांसलर का अनोखा उपहार: दादा का जन्म प्रमाणपत्र

जर्मन चांसलर की ऐतिहासिक भेंट
जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने गुरुवार को ओवल ऑफिस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान एक विशेष उपहार पेश किया। उन्होंने ट्रंप को उनके दादा फ्रेडरिक ट्रंप का सुनहरा फ्रेम वाला जन्म प्रमाणपत्र भेंट किया, जिनका जन्म जर्मनी में हुआ था। यह घटना न केवल व्यक्तिगत महत्व रखती है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच के संबंधों को भी उजागर करती है।
ट्रंप के दादा का नाम और चांसलर का संयोग
फ्रेडरिक ट्रंप, जो ट्रंप के दादा हैं, का जन्म 1869 में जर्मनी के पैलेटिनेट क्षेत्र के कल्स्टेड में हुआ था। वे 1885 में अमेरिका चले गए और उनके पोते डोनाल्ड ट्रंप की वजह से प्रसिद्ध हुए। दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप के दादा का नाम 'फ्रेडरिक' है, जो जर्मन चांसलर मर्ज़ के पहले नाम से मेल खाता है। इस संयोग ने एक मजेदार चर्चा को जन्म दिया, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप ने हंसते हुए कहा, “यह वास्तव में जर्मन है।”
उपहार के पीछे की भावनाएं
चांसलर मर्ज़ ने ट्रंप को केवल जन्म प्रमाणपत्र ही नहीं, बल्कि 'न्यूज फ्रॉम द लैंड ऑफ फ्रीडम - जर्मन इमिग्रेंट्स राइट होम' नामक एक पुस्तक भी भेंट की। यह पुस्तक उन जर्मन प्रवासियों द्वारा अपने परिवारों को लिखे गए पत्रों का संग्रह है, जो अमेरिका में बसे हुए हैं। यह उपहार ट्रंप के परिवार की जड़ों और उनके दादा के जर्मनी से अमेरिका आने की याद दिलाने के लिए दिया गया था।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने इस उपहार पर अपनी प्रतिक्रिया में इसे 'शानदार' बताया और कहा कि वह इसे ओवल ऑफिस में एक सम्मानजनक स्थान पर रखेंगे। उन्होंने मजाक में कहा, “हम इसे सम्मान के स्थान पर स्थापित करेंगे,” जिससे कमरे में मौजूद सभी लोग हंस पड़े।
जर्मनी का आमंत्रण
चांसलर मर्ज़ ने ट्रंप को उनके दादा के जन्म स्थान का दौरा करने के लिए जर्मनी आने का आमंत्रण भी दिया। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप के दादा का जन्म बवेरिया के अधिकारियों द्वारा प्रमाणित किया गया था, क्योंकि वह समय पैलेटिनेट क्षेत्र बवेरिया साम्राज्य का हिस्सा था। मर्ज़ ने एक वीडियो में कहा कि ट्रंप के दादा का जन्म बैड डर्कहेम शहर के पास हुआ था।
ट्रंप का विवादास्पद बयान
हालांकि, इस मुलाकात में एक असहज पल भी आया जब ट्रंप ने डी-डे के बारे में अजीब टिप्पणी की। डी-डे 6 जून 1944 को यूरोप को नाजी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए मित्र देशों की सेनाओं के आक्रमण का दिन था। मर्ज़ ने इस दिन की 81वीं सालगिरह पर चर्चा करते हुए कहा, “यह आपके देश के लिए खुशहाल दिन नहीं था।” मर्ज़ ने डी-डे के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह दिन जर्मन तानाशाही से मुक्ति का प्रतीक था।
संवाद का महत्व
ट्रंप ने मर्ज़ की बातों को दो बार टोकते हुए अपनी टिप्पणी की, जो जर्मन चांसलर को असहज कर गई। मर्ज़ ने फिर ट्रंप से कहा, “अंततः, राष्ट्रपति महोदय, यह नाजी तानाशाही से मेरे देश की मुक्ति थी।” यह संवाद दर्शाता है कि दोनों नेताओं के बीच मतभेदों के बावजूद, जर्मनी के इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों पर चर्चा करते हुए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बनाए रखने की आवश्यकता है।