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दक्षिण कोरिया में लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी आतंकी गिरफ्तार: सुरक्षा एजेंसियों में चिंता

दक्षिण कोरिया की पुलिस ने सियोल में लश्कर-ए-तैयबा के एक पाकिस्तानी आतंकवादी को गिरफ्तार किया है, जो 2008 के मुंबई हमले से जुड़े नेटवर्क से जुड़ा था। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि यह दक्षिण कोरिया में इस तरह की पहली घटना है। जांच में पता चला है कि वह व्यापार के बहाने देश में आया था, जबकि उसकी असली मंशा संदिग्ध थी। पुलिस ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और फंडिंग की जांच भी जारी है।
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दक्षिण कोरिया में लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी आतंकी गिरफ्तार: सुरक्षा एजेंसियों में चिंता

सियोल में आतंकवादी की गिरफ्तारी

International News: दक्षिण कोरिया की पुलिस ने सियोल के इटावन क्षेत्र से लश्कर-ए-तैयबा के एक पाकिस्तानी आतंकवादी को गिरफ्तार किया है। यह व्यक्ति लगभग 40 वर्ष का है और स्थानीय बाजार में क्लर्क के रूप में कार्यरत था। पुलिस ने बताया कि उसके खिलाफ आतंकवाद-रोधी कानून और इमिग्रेशन एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह आतंकवादी 2008 में मुंबई में हुए भयानक हमले से जुड़े नेटवर्क के संपर्क में था, जिसमें 166 लोगों की जान गई थी। दक्षिण कोरिया में इस तरह की घटना पहली बार होने के कारण सुरक्षा एजेंसियों में चिंता बढ़ गई है।


लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने का इतिहास

कोरियाई पुलिस की जांच में यह सामने आया कि यह पाकिस्तानी 2020 में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। उसने हथियारों की ट्रेनिंग, अंडरवॉटर ऑपरेशन और घुसपैठ के कौशल सीखे थे। संगठन ने उसे अपना आधिकारिक सदस्य मान लिया था और उसे विदेश भेजने की योजना बनाई थी।


वीज़ा और व्यापार का बहाना

सितंबर 2023 में, उसने पाकिस्तान में स्थित दक्षिण कोरियाई कांसुलेट से वीज़ा प्राप्त किया और दिसंबर में सियोल पहुंचा। पुलिस का कहना है कि उसने व्यापार शुरू करने का बहाना बनाया, लेकिन उसकी मंशा और संपर्क संदिग्ध थे। जांच में यह भी पता चला कि उसने अपने दस्तावेजों में गलत जानकारी दी थी और कुछ स्थानीय व्यापारियों से गुप्त मुलाकातें की थीं।


कानूनी कार्रवाई की संभावनाएं

दक्षिण कोरिया के आतंकवाद-रोधी कानून की धारा 17 के तहत किसी आतंकवादी संगठन से संबंध रखना भी अपराध है। पुलिस का कहना है कि भले ही उसने कोरिया में कोई हमला करने की योजना नहीं बनाई हो, लेकिन उसकी सदस्यता ही जनता की सुरक्षा के लिए खतरा है। कानून के अनुसार, आतंकवादी संगठनों के साथ जुड़ाव केवल हथियार उठाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके उद्देश्यों को आगे बढ़ाना भी अपराध है। इस कारण उसे अदालत में कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला दक्षिण कोरिया के लिए एक चेतावनी है कि बाहरी आतंकवादी नेटवर्क भी यहां सक्रिय हो सकते हैं।


फंडिंग की जांच जारी

जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उसने लश्कर-ए-तैयबा को किसी प्रकार की धनराशि भेजी है। यदि फंडिंग के सबूत मिलते हैं, तो उसके खिलाफ और भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने उसके बैंक खातों, मोबाइल रिकॉर्ड और सोशल मीडिया कनेक्शन की गहन जांच शुरू कर दी है। संदेह है कि उसने कुछ धनराशि हवाला नेटवर्क के माध्यम से पाकिस्तान भेजी हो। यदि यह साबित हुआ, तो मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी बड़ा बन जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि ऐसी फंडिंग से लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन नए हमलों की योजना बनाते हैं।


लश्कर-ए-तैयबा का काला इतिहास

लश्कर-ए-तैयबा को 2005 में यूएनएससी द्वारा अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान से जुड़े होने के कारण आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था। इसका फ्रंट संगठन जमात-उद-दावा कई वारदातों में शामिल रहा है। हाल ही में पहलगाम हमले में भी इसी संगठन का हाथ था, जिसमें 26 बेगुनाहों की बेरहमी से हत्या की गई।

26/11 मुंबई हमलों से लेकर कश्मीर घाटी में होने वाले कई आतंकवादी हमलों में इस संगठन का नाम सामने आता रहा है। लश्कर की फंडिंग, भर्ती और ट्रेनिंग के नेटवर्क कई देशों तक फैले हुए हैं। यही कारण है कि इसे दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी नेटवर्क में गिना जाता है।