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पंजाब यूनिवर्सिटी की नई तकनीक से PET प्लास्टिक का रीसाइक्लिंग हुआ आसान

पंजाब यूनिवर्सिटी ने एक नई तकनीक विकसित की है जो PET प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग को आसान बनाती है। इस तकनीक के माध्यम से प्लास्टिक को उच्च गुणवत्ता वाले मोनोमर्स में परिवर्तित किया जा सकता है, जो विभिन्न उद्योगों में उपयोगी हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है और पारंपरिक रीसाइक्लिंग विधियों की तुलना में अधिक प्रभावी है। जानें इस तकनीक के लाभ और इसके विकास के पीछे की कहानी।
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पंजाब यूनिवर्सिटी की नई तकनीक से PET प्लास्टिक का रीसाइक्लिंग हुआ आसान

पंजाब यूनिवर्सिटी की क्रांतिकारी तकनीक

पंजाब यूनिवर्सिटी के डीएसटी टेक्नोलॉजी एनेब्लिंग सेंटर ने हाल ही में महाराष्ट्र की एक उद्योग को उन्नत PET केमिकल रीसाइक्लिंग तकनीक का हस्तांतरण किया है। यह पहल पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से की गई है।


नई तकनीक का लाभ

इस प्रक्रिया में केमिकल का उपयोग करके PET कचरे को डीपॉलिमराइज किया जाता है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले मोनोमर्स प्राप्त होते हैं। ये मोनोमर्स 99% शुद्धता के साथ तैयार होते हैं और इन्हें प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, कॉस्मेटिक्स और ऑटोमोबाइल उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है।


पर्यावरण के अनुकूल समाधान

यह तकनीक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देती है, जिसमें प्लास्टिक को फेंकने के बजाय पुनः उपयोग किया जाता है। इस रीसाइक्लिंग विधि में उपयोग किए गए सामग्री (सॉल्वेंट और कैटालिस्ट) को फिर से प्रयोग किया जा सकता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।


तकनीक का विकास

इस तकनीक का विकास बठिंडा के बाबा फरीद ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के केमिस्ट्री विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक शर्मा ने किया है। डॉ. वीरेंद्र सिंह कंग, जो कि पीयू के टेक्नोलॉजी एनेब्लिंग सेंटर में प्रबंधक हैं, ने इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया है।


उपयोग के फायदे

• इस तकनीक से PET प्लास्टिक को गुणवत्ता में कमी किए बिना बार-बार रीसाइक्ल किया जा सकता है।
• पारंपरिक मैकेनिकल रीसाइक्लिंग से प्लास्टिक कमजोर और गंदा हो सकता है।
• यह तकनीक प्लास्टिक को उसके मूल घटकों में तोड़ देती है, जिससे वह फिर से नया जैसा बन जाता है।
• इसके परिणामस्वरूप उच्च गुणवत्ता वाला प्लास्टिक प्राप्त होता है, जिसकी लागत 50-60% कम होती है।