फास्टैग एनुअल पास 2025: हर साल 5 नए एक्सप्रेस-वे का निर्माण

फास्टैग एनुअल कार पास 2025
फास्टैग एनुअल कार पास 2025: 15 अगस्त से भारतीय नागरिक फास्टैग का 3000 रुपये का वार्षिक पास प्राप्त कर सकेंगे। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, देशभर में 4 दिसंबर 2024 तक 36 करोड़ 40 लाख से अधिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जिसमें 8 करोड़ 15 लाख से ज्यादा चार पहिया वाहन शामिल हैं। यह एनुअल पास केवल निजी वाहनों के लिए मान्य होगा।
सरकार को मिलेगी बड़ी राशि
इस डेटा के अनुसार, पिछले छह महीनों में निजी और व्यावसायिक वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है। यदि 8 करोड़ वाहनों में से व्यावसायिक वाहनों को छोड़ दिया जाए, तो निजी वाहनों की संख्या 8 करोड़ से अधिक होगी। प्रत्येक कार से 3000 रुपये का एनुअल पास जोड़ने पर सरकार को 8 करोड़ वाहनों से 24,000 करोड़ रुपये की राशि एकमुश्त प्राप्त होगी। यह राशि सरकार को हर साल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मदद कर सकती है।
हर साल पांच नए एक्सप्रेस-वे का निर्माण
टोल के वार्षिक पास से सरकार को हर साल 24,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिसका उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है। देश का सबसे छोटा एक्सप्रेस-वे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे है, जिसकी लंबाई 24.53 किमी है और इसकी लागत 400 करोड़ रुपये आई थी। वहीं, नर्मदा एक्सप्रेस-वे 1300 किमी के लिए तैयार किया जा रहा है, जिसकी अनुमानित लागत 3100 करोड़ रुपये है। सरकार हर साल ऐसे छोटे-बड़े पांच एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर सकती है।
2025 में तैयार होने वाले एक्सप्रेस-वे
परियोजना | अनुमानित लागत | दूरी |
द्वारका एक्सप्रेस-वे | 8662 करोड़ रुपये | 29.10 किमी |
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे | 4700 करोड़ रुपये | 62.7 किमी |
अहदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस-वे | 3000 करोड़ रुपये | 109 किमी |
असम-दरभंगा एक्सप्रेस-वे | 5000 करोड़ रुपये | 230 किमी |
नर्मदा एक्सप्रेस-वे | 3100 करोड़ रुपये | 1300 किमी |
नोट- सूची में कुछ एक्सप्रेस-वे का कुछ हिस्सा संचालित होने लगा है, जबकि कुछ एक्सप्रेस-वे साल के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है। सभी एक्सप्रेस-वे की कुल लागत 24,463 करोड़ रुपये है, जो वार्षिक पास से मिलने वाली राशि के करीब है।
एक्सप्रेसवे और हाईवे में अंतर
हाईवे का निर्माण शहरों और कस्बों को जोड़ने के लिए किया जाता है, जबकि एक्सप्रेस-वे दूरस्थ शहरों को जोड़ने के लिए बनाए जाते हैं। हाईवे पर सामान्यतः 2 से 4 लेन होती हैं, जबकि एक्सप्रेस-वे पर 6 से 8 लेन होती हैं। हाईवे पर प्रवेश और निकास कहीं से भी किया जा सकता है, जबकि एक्सप्रेस-वे पर निर्धारित स्थानों से ही प्रवेश और निकास संभव है। भारत में वर्तमान में 44 एक्सप्रेस-वे हैं, और लगभग 17 एक्सप्रेस-वे पर निर्माण कार्य चल रहा है।