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भारत बंद: 25 करोड़ कर्मचारियों की हड़ताल की तैयारी

बुधवार को भारत में एक बड़ा बंद होने जा रहा है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों में भाग लेंगे। यह हड़ताल सरकार की श्रमिक और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ है। जानें इस हड़ताल के पीछे की वजहें और श्रमिकों की प्रमुख मांगें।
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भारत बंद की तैयारी

बुधवार को भारत में एक बड़ा बंद होने जा रहा है, जिसमें अनुमानित 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों जैसे बैंकिंग, बीमा और डाक सेवाओं में भाग लेंगे। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित की जा रही है और इसे 'भारत बंद' का नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य सरकार की श्रमिक, किसान और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना है।


ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने बताया कि इस हड़ताल में देशभर के किसान और ग्रामीण कर्मचारी भी शामिल होंगे। हिंद मजदूर सभा के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि इस हड़ताल के चलते बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखानों और राज्य परिवहन सेवाओं पर असर पड़ेगा।


हड़ताल का आह्वान करने वाले संगठनों ने पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को 17 सूत्री मांगों का एक चार्टर सौंपा था। उनका कहना है कि सरकार पिछले 10 वर्षों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं कर रही है और श्रमिकों के हितों के खिलाफ निर्णय ले रही है।


श्रमिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, मजदूरी घट रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा नागरिक सुविधाओं में कटौती की जा रही है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के बीच असमानता बढ़ रही है।


उनकी मांगों में बेरोजगारी पर ध्यान देना, स्वीकृत पदों पर भर्ती करना, अधिक रोजगार सृजित करना, मनरेगा श्रमिकों के कार्य दिवस और मजदूरी बढ़ाना शामिल है। हालांकि, सरकार नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ईएलआई योजना को लागू करने में व्यस्त है।


एनएमडीसी लिमिटेड और अन्य गैर-कोयला खनिज, इस्पात, राज्य सरकार के विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के श्रमिक नेताओं ने भी हड़ताल में शामिल होने का निर्णय लिया है। मजदूर नेताओं ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठनों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है।