भारत में कुपोषण के खिलाफ नई AI तकनीक का विकास

AI मॉडल से कुपोषण की पहचान में सुधार
भारत में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जोधपुर ने एक अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल विकसित किया है। यह मॉडल बच्चों में कुपोषण का पता लगाने के पारंपरिक तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह तकनीक न केवल सटीक है, बल्कि इसे स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने स्मार्टफोन पर भी आसानी से उपयोग कर सकते हैं।कुपोषण के स्तर का आकलन करने के लिए पहले वॉटरलो क्लासिफिकेशन और कम्पोजिट इंडेक्स ऑफ एन्थ्रोपोमेट्रिक फेलियर (CIAF) जैसे जटिल तरीकों का उपयोग किया जाता था। ये विधियां समय लेने वाली और जटिल थीं, जिससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए सही गणना करना मुश्किल हो जाता था।
आईआईटी और एम्स के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह डीप लर्निंग-आधारित AI मॉडल प्रक्रिया को सरल बनाता है। इसे कुपोषण का स्तर बताने के लिए केवल तीन जानकारियों की आवश्यकता होती है: उम्र, वजन और ऊंचाई। जैसे ही ये जानकारी AI मॉडल में डाली जाती है, यह तुरंत बच्चे के पोषण की स्थिति का विश्लेषण करता है।
इस तकनीक से मानवीय गणना की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे गलतियों की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे डॉ. सुमित कालरा और डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने इसे "मल्टी-इनपुट न्यूरल नेटवर्क" के रूप में वर्णित किया है, जो विशेष रूप से भारतीय बच्चों के डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है।
यह अविष्कार भारत में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता अब आसानी से बच्चों में कुपोषण का सटीक आकलन कर सकेंगे, जिससे समय पर इलाज और पोषण संबंधी सहायता मिल सकेगी। इसके अलावा, इस तकनीक से प्राप्त सटीक डेटा सरकार को कुपोषण से निपटने के लिए प्रभावी नीतियां बनाने में मदद करेगा।