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भारत में यूपीआई: डिजिटल लेनदेन का नया युग

यूपीआई, भारत की प्रमुख डिजिटल भुगतान प्रणाली, ने देश के डिजिटल लेनदेन में 47% हिस्सेदारी हासिल की है। यह न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है। जानें यूपीआई की सफलता की कहानी और इसके वैश्विक विस्तार के संभावित अवसरों के बारे में।
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भारत में यूपीआई: डिजिटल लेनदेन का नया युग

यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता

भारत की प्रमुख डिजिटल भुगतान प्रणाली, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), ने देश के डिजिटल लेनदेन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। हाल ही में एक मंत्री ने बताया कि भारत में होने वाले कुल डिजिटल लेनदेन का लगभग 47 प्रतिशत यूपीआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जा रहा है। यह आंकड़ा यूपीआई की व्यापक स्वीकृति और इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है।


मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि यूपीआई की सफलता अब केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैल रही है। इसका अर्थ है कि यह स्वदेशी भुगतान प्रणाली अब अन्य देशों में भी स्वीकार की जा रही है, जो भारत की वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) की बढ़ती ताकत का संकेत है।


यूपीआई की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य स्मार्टफोन के माध्यम से सरल, तेज और सुरक्षित भुगतान प्रदान करना था। इसकी उपयोगिता, 24/7 उपलब्धता और कम लागत ने इसे नकद का एक प्रभावी विकल्प बना दिया है।


लगभग 47% डिजिटल लेनदेन को संभालने की क्षमता यूपीआई के प्रभाव को उजागर करती है। यह न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि अर्थव्यवस्था को कम नकद वाली बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वैश्विक स्तर पर इसका विस्तार भारतीय प्रवासियों और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए नए अवसर प्रदान करेगा।


संक्षेप में, मंत्री का बयान यूपीआई की अभूतपूर्व सफलता को दर्शाता है - एक ऐसी प्रणाली जो भारत में डिजिटल भुगतान का प्रतीक बन गई है और अब वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है।