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भोपाल में रेल कोच निर्माण परियोजना का भूमि-पूजन, 1800 करोड़ की लागत से होगा विकास

भोपाल में 1800 करोड़ रुपये की लागत से रेल कोच निर्माण परियोजना का भूमि-पूजन 10 अगस्त को होगा। यह परियोजना न केवल रोजगार के नए अवसर सृजित करेगी, बल्कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया मिशन के तहत यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। यहां बनने वाले वंदे भारत और मेट्रो ट्रेनों के कोच भारतीय रेल व्यवस्था में नए युग की शुरुआत करेंगे।
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भोपाल में रेल कोच निर्माण परियोजना का भूमि-पूजन, 1800 करोड़ की लागत से होगा विकास

मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर प्रदेश को एक महत्वपूर्ण रेल कोच इकाई की सौगात मिलने जा रही है। इस परियोजना का भूमि-पूजन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 10 अगस्त को औबेदुल्लागंज के दशहरा मैदान में करेंगे।


उच्च स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति

इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, रक्षा उत्पाद सचिव संजीव कुमार, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार और भारत अर्थ मूवर्स परियोजना के अध्यक्ष शांतनु राय भी शामिल होंगे। इस अवसर पर बीईएलएल (भारत अर्थ मूवर्स लि) परियोजना पर एक लघु फिल्म, प्रस्तावित प्लांट का 3डी वॉक थ्रू और नए संयंत्रों के मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।


ब्रह्मा परियोजना का महत्व

60 हेक्टेयर भूमि पर 1800 करोड़ की लागत


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि भारत अर्थ मूवर्स परियोजना के तहत भोपाल जिले के रायसेन के ग्राम उमरिया में 60 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर 1800 करोड़ रुपये की लागत से ब्रह्मा परियोजना (बीईएमएल रेल हब फॉर मैन्युफैक्चरिंग) का निर्माण होगा। इससे राजधानी भोपाल और आसपास के जिलों जैसे रायसेन, सीहोर और विदिशा को लाभ होगा। इस परियोजना से तकनीकी संस्थानों में पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।


रेल व्यवस्था में नया युग

वंदे भारत और मेट्रो ट्रेनों के कोच का निर्माण


इस परियोजना के माध्यम से 5000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में विकसित हो रहे भोपाल क्षेत्र को इस परियोजना से काफी लाभ होगा। यह प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां बनने वाले वंदे भारत और मेट्रो ट्रेनों के कोच भारतीय रेल व्यवस्था के नए युग की शुरुआत करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना न केवल राजधानी क्षेत्र बल्कि पूरे प्रदेश के विकास में सहायक होगी।


आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

मेक इन इंडिया के उद्देश्यों के अनुरूप


‘ब्राह्मा’ संयंत्र पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करेगा। यहां उपयोग होने वाली अधिकांश तकनीक और सामग्री देश में विकसित की जाएगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी। यह परियोजना प्रदेश को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनाने में मदद करेगी।


पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता

हरित फैक्ट्री मानकों का पालन


इस संयंत्र के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। यहां शून्य तरल अपशिष्ट प्रणाली, सौर ऊर्जा का उपयोग, वर्षा जल संचयन और हरित लैंडस्केपिंग को अपनाया जाएगा। निर्माण में पुनर्नवीनीकरण और टिकाऊ सामग्री का उपयोग करते हुए इसे हरित फैक्ट्री मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा।


औद्योगिक रोजगार का सृजन

उच्च स्तरीय रोजगार के अवसर


परियोजना की प्रारंभिक उत्पादन क्षमता 125 से 200 कोच प्रतिवर्ष होगी, जिसे पांच वर्षों में बढ़ाकर 1,100 कोच प्रतिवर्ष किया जाएगा। इस इकाई के संचालन से हजारों रोजगार सृजित होंगे, जिससे प्रदेश के युवाओं को अपने ही राज्य में उच्च स्तरीय औद्योगिक रोजगार प्राप्त होगा। साथ ही, यहां विकसित होने वाली तकनीकी क्षमताएं प्रदेश को हाई-स्पीड रेल और मेट्रो निर्माण के वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएंगी।