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मुंबई में रिटायर्ड बैंकर का डिजिटल ठगी का मामला

मुंबई में एक रिटायर्ड बैंकर और उनकी पत्नी को एक साइबर अपराधी ने ठगी का शिकार बनाया। इस व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर उन्हें तीन दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनकी जीवनभर की बचत, 50.5 लाख रुपये, ट्रांसफर करवा लिए। जानें इस मामले की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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मुंबई में रिटायर्ड बैंकर का डिजिटल ठगी का मामला

डिजिटल ठगी का चौंकाने वाला मामला


नई दिल्ली: एक हैरान करने वाली घटना में, मुंबई में एक रिटायर्ड बैंकर और उनकी पत्नी को ठगी का शिकार बनाया गया है। इस मामले में एक व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी बनकर तीन दिनों तक इस दंपति को डिजिटल रूप से गिरफ्तार रखा और उनसे उनकी जीवनभर की बचत, 50.5 लाख रुपये, ट्रांसफर करवा लिए।


पुलिस के अनुसार, यह घटना 10 अक्टूबर को हुई। उस दिन उत्तरी मुंबई के इस वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई कि वह एक बड़े साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं। 11 से 24 सितंबर के बीच, पीड़ित को एक नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को नासिक पुलिस बताया। कॉलर ने आरोप लगाया कि उसका नाम मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में शामिल है और एक फर्जी एफआईआर भी दिखाई।


साइबर अपराधी ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताया

साइबर क्रिमिनल ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताया:


इसके बाद, कॉलर ने खुद को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी का आईपीएस अधिकारी बताया और कहा कि उन पर नजर रखी जा रही है। इस दौरान, तीन दिनों तक इस दंपति को डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। पूछताछ के दौरान, अपराधियों ने पति-पत्नी के बैंक खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट की जानकारी मांगी।


चोरी किए गए पैसे का पता लगाया गया

चोरी किए गए पैसे का लगाया गया पता:


उन्होंने दावा किया कि उन्हें पैसे को वेरिफाई करने के लिए इसकी आवश्यकता है। स्कैमर्स ने पीड़ित से कहा कि उन्हें अपने खाते में 50.5 लाख रुपये ट्रांसफर करने चाहिए। जैसे ही दंपति ने पैसे ट्रांसफर किए, कॉल कट गई। इस मामले की जांच शुरू हो गई है और चोरी किए गए पैसे का पता लगाया गया है। इसमें से 29.5 लाख रुपये का पता ठाणे जिले के उल्हासनगर में एक फर्स्ट-लेयर म्यूल अकाउंट में लगाया गया है, जो रवि आनंदा अंबोरे द्वारा चलाया जा रहा है।


इस मामले में 25 अक्टूबर को अंबोरे को गिरफ्तार किया गया था। उसने स्वीकार किया कि उसने अपना बैंक खाता कुछ कमीशन के लिए साइबर अपराधियों को दिया था। उसके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर विश्वपाल चंद्रकांत जाधव को भी गिरफ्तार किया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "अपराधी कमजोर लोगों को फंसाने के लिए डर और अधिकार का उपयोग करते हैं। कोई भी पुलिस या NIA अधिकारी कभी भी पैसे ट्रांसफर करने की मांग नहीं करेगा या नागरिकों को वीडियो सर्विलांस में नहीं रखेगा।