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मेरठ अस्पताल में बच्चे के घाव पर टांके की जगह फेवीक्विक लगाने का मामला

मेरठ के एक निजी अस्पताल में एक ढाई साल के बच्चे के घाव पर टांके लगाने के बजाय 'फेवीक्विक' लगाने का गंभीर मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि आपातकालीन कक्ष में डॉक्टर की अनुपस्थिति में स्टाफ ने यह लापरवाही की। बच्चे की मां ने बताया कि इस प्रक्रिया के बाद बच्चे को अत्यधिक दर्द का सामना करना पड़ा। सीएमओ ने मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया है। जानें इस घटना के सभी पहलुओं के बारे में।
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मेरठ अस्पताल में बच्चे के घाव पर टांके की जगह फेवीक्विक लगाने का मामला

घटना का विवरण

मेरठ (उत्तर प्रदेश) के एक निजी अस्पताल में एक ढाई साल के बच्चे के घाव पर टांके लगाने के बजाय कथित तौर पर 'फेवीक्विक' लगाने का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। परिजनों का आरोप है कि आपातकालीन कक्ष में मौजूद स्टाफ ने बच्चे के घाव पर उचित चिकित्सा के बजाय 'फेवीक्विक' का उपयोग किया, जिससे बच्चा पूरी रात दर्द में कराहता रहा।


परिवार की शिकायत

जसप्रिंदर सिंह, जो कि विहार एक्सटेंशन के निवासी हैं, ने बताया कि सोमवार रात उनके बेटे मनराज को चोट लगने के बाद वे भाग्यश्री अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि बच्चे के घाव से खून बह रहा था और आपातकालीन कक्ष में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। इस दौरान एक वार्ड बॉय ने, उनके विरोध के बावजूद, 'फेवीक्विक' मंगवाकर घाव पर लगा दिया।


बच्चे की मां का बयान

बच्चे की मां इरविन कौर ने कहा कि जैसे ही यह गोंद जैसी सामग्री घाव पर लगी, बच्चा जोर से रोने लगा और उसकी पीड़ा बढ़ गई। रातभर बच्चे को तेज दर्द सहना पड़ा। अगले दिन, उन्होंने बच्चे को एक अन्य अस्पताल में ले जाकर डॉक्टरों से घाव की सफाई कराई, जहां चार टांके लगाए गए। कौर ने बताया कि घाव पर लगा पदार्थ सूखकर इतना कठोर हो गया था कि बच्चे को अत्यधिक पीड़ा हो रही थी।


अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया

परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि प्राथमिक उपचार के दौरान बच्चे को टिटेनस का इंजेक्शन देने से भी मना कर दिया गया। जब यह शिकायत अस्पताल प्रबंधन तक पहुंची, तो स्टाफ ने अपने इलाज को सही ठहराते हुए विवाद को अनावश्यक बताया। मेरठ के सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद एक दो सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है, जिसमें एक सर्जन भी शामिल है। उन्होंने बताया कि उपचार की सहीता की जांच की जा रही है और यदि लापरवाही पाई गई, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।