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योगेंद्र यादव की मशरूम खेती: मेहनत से बदली किस्मत

योगेंद्र यादव की कहानी हरियाणा में मशरूम खेती की एक प्रेरक मिसाल है। जल संकट के बावजूद, उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर मशरूम उत्पादन की ओर कदम बढ़ाया और आज उनकी सालाना आय 55 लाख रुपये तक पहुंच गई है। उनकी मेहनत ने न केवल उनकी किस्मत बदली, बल्कि उन्होंने अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। जानें कैसे योगेंद्र ने अपने अनुभव और नवाचार से सफलता हासिल की और किस तरह उन्होंने रोजगार के अवसर भी सृजित किए।
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योगेंद्र यादव की मशरूम खेती: मेहनत से बदली किस्मत

योगेंद्र यादव की प्रेरक कहानी

मशरूम खेती हरियाणा: योगेंद्र यादव की मेहनत ने बदली किस्मत, कमाए लाखों: हरियाणा में मशरूम की खेती किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है। महेंद्रगढ़ के खैरा गांव के निवासी योगेंद्र यादव ने जल संकट को एक अवसर में बदलते हुए मशरूम उत्पादन में एक मिसाल कायम की है।


चार साल पहले जब उनके बोरवेल सूख गए, तो उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की। आज उनकी सालाना आय 55 लाख रुपये तक पहुंच गई है, और वे 1100 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। उनकी सफलता अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। आइए जानते हैं उनकी इस प्रेरक यात्रा के बारे में।


टैक्सी ड्राइवर से प्रगतिशील किसान तक

योगेंद्र यादव ने 2005 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने गुरुग्राम में टैक्सी चलाई और फिर गांव लौटकर तीन एकड़ जमीन पर खेती शुरू की। 2022 में जल संकट ने उन्हें मशरूम की खेती की ओर मोड़ दिया।


कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़, मुरथल मशरूम केंद्र, और गुरुग्राम से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने 'महेंद्रगढ़ मशरूम फार्म' की स्थापना की। पहले साल 20 क्विंटल उत्पादन से 2.5 लाख रुपये कमाए। 2023 में यह उत्पादन 200 क्विंटल और आय 15 लाख रुपये हो गई। उनकी मेहनत ने उन्हें प्रगतिशील किसान पुरस्कार दिलाया।


उत्पादन में वृद्धि और नए उत्पाद

2024 में योगेंद्र ने कंपोस्ट यूनिट स्थापित की, जिससे उत्पादन 900 क्विंटल और आय 25 लाख रुपये हो गई। दो नई आधुनिक यूनिट्स ने उत्पादन को 1100 क्विंटल तक बढ़ाया, और अब उनकी सालाना आय 55 लाख रुपये है। वे दिल्ली, गुरुग्राम, और रेवाड़ी में सप्ताह में तीन दिन ताजा मशरूम की आपूर्ति करते हैं।


सफेद बटन, गुलाबी ऑयस्टर, और मिल्की मशरूम समेत सात किस्में उगाई जाती हैं। उन्होंने मशरूम से नमकीन, बिस्किट, अचार, और पाउडर जैसे मूल्य वर्धित उत्पाद बनाए हैं, जिनकी बाजार में भारी मांग है।


रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर

योगेंद्र ने न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया। उनकी प्रोसेसिंग यूनिट में 10 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला है। वे हर महीने 50 युवाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे रहे हैं।


उनके बेटे विनय, विहान, और पत्नी ममता भी इस काम में सहयोग करते हैं। योगेंद्र का अगला लक्ष्य 1500 क्विंटल उत्पादन करना है। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि मेहनत और नवाचार से खेती में भी लाखों की कमाई संभव है।