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सोनीपत में बारिश से धान की फसल को मिला नया जीवन, लेकिन यमुना का उफान बना चुनौती

सोनीपत में हाल की बारिश ने किसानों की उम्मीदों को बढ़ाया है, लेकिन यमुना का उफान कई खेतों को नुकसान पहुंचा रहा है। धान की फसल तेजी से बढ़ रही है, लेकिन तेज हवाओं के कारण गिरने का खतरा बना हुआ है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है, बशर्ते मौसम में कोई और बाधा न आए। जानें इस स्थिति का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ा है और उन्हें क्या कदम उठाने की सलाह दी गई है।
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सोनीपत में बारिश से धान की फसल को मिला नया जीवन, लेकिन यमुना का उफान बना चुनौती

सोनीपत में बारिश का प्रभाव

सोनीपत समाचार, (सोनीपत) : हाल की बारिश ने सोनीपत के किसानों की उम्मीदों को बढ़ाया है, लेकिन यमुना का उफान कई खेतों को नुकसान पहुंचा रहा है। यमुना के किनारे सैकड़ों एकड़ खेतों में पानी भर गया है, जिससे कई जगहों पर जमीन बह गई है। इस स्थिति के कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, सामान्य और ऊंचाई वाले खेतों में बारिश धान की फसल के लिए लाभकारी साबित हो रही है। लगातार बारिश से धान की फसल तेजी से बढ़ रही है, और अगेती किस्म की फसलों में बालियां बननी शुरू हो गई हैं। हालांकि, अधिक बारिश और तेज हवाएं फसलों को गिरा सकती हैं, जिससे उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने का खतरा है।


धान की खेती की स्थिति

धान की खेती का हाल

इस वर्ष सोनीपत में 90 हजार एकड़ में धान की रोपाई की गई है, जबकि 15 हजार एकड़ में सीधी बिजाई की गई है। जिले में कुल 1 लाख 95 हजार एकड़ में फसलें बोई गई हैं, जिनमें 30 प्रतिशत अगेती किस्म की हैं। अगेती किस्म की फसलें 90 दिन में तैयार हो जाती हैं, जबकि सामान्य धान को 150 दिन लगते हैं। यमुना बेल्ट के किसान अगेती किस्मों को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि इसके बाद वे दूसरी फसल भी ले सकते हैं। इस कारण कई फसलें अब तैयार होने की कगार पर हैं।


बारिश के फायदे और नुकसान

बारिश से फायदा और नुकसान

लगातार बारिश ने धान की फसल में तेजी लाई है, और पौधों का वजन भी बढ़ रहा है। लेकिन तेज हवाओं के कारण फसलें गिरने का खतरा बना हुआ है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है। जलभराव वाले क्षेत्रों को छोड़कर, धान की फसल अच्छी तरह से बढ़ रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है, बशर्ते बारिश और हवा ज्यादा नुकसान न करें।


पानी निकासी की आवश्यकता

पानी निकासी का इंतजाम जरूरी

धान की फसल को सामान्यतः पानी से ज्यादा नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि पौधे पूरी तरह डूब जाएं, तो फसल गलने का खतरा रहता है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों से पानी निकालने का प्रबंध करें। इसके लिए डीजल या इलेक्ट्रिक पंप किराए पर लिए जा सकते हैं। पानी निकालने के बाद फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।


उत्पादन की उम्मीद

अच्छी पैदावार की उम्मीद

कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण धान की फसल शानदार होने की उम्मीद है। यदि खेतों में ज्यादा पानी है, तो किसानों को निकासी का प्रबंध करना चाहिए। धान के लिए पानी कोई बड़ी समस्या नहीं है, और इस वर्ष पैदावार बढ़ने की पूरी संभावना है।