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हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, तीन लोगों की मौत

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हाल की भारी बारिश ने बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई है और दो अन्य लापता हैं। स्थानीय प्रशासन ने बचाव कार्य जारी रखा है, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है। सड़क संपर्क और बिजली आपूर्ति पर भी बुरा असर पड़ा है। जानें इस आपदा के बारे में और अधिक जानकारी।
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बाढ़ की स्थिति और बचाव कार्य

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लगातार बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई है और दो अन्य लापता हैं। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यह आपदा सोमवार सुबह चार बजे के आसपास हुई मूसलधार बारिश के कारण और भी बढ़ गई।


स्थानीय प्रशासन ने बताया कि इस बारिश के चलते नहरों में मलबा बहकर आ गया है, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई है। बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। मंडी नगर आयुक्त रोहित राठौर ने कहा कि मलबे का प्रभाव क्षेत्र में गहरा है, और अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।


विपक्ष के नेता का दौरा

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा, "यह क्षेत्र पहले कभी इतनी भयंकर आपदा का सामना नहीं कर चुका था। बाढ़ के कारण अब तक तीन शव बरामद किए गए हैं और एक व्यक्ति लापता है। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। बारिश अभी भी जारी है, और मैं सभी से सावधानी बरतने की अपील करता हूँ।"


सड़क संपर्क और बिजली आपूर्ति पर असर

मंडी जिले में 26 दिन बाद भी सड़क संपर्क पूरी तरह से बाधित है, और 130 सड़कों पर यातायात ठप है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) के आंकड़ों के अनुसार, सेराज क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 81 सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, थलौट, धरमपुर और करसोग जैसे क्षेत्रों में भी सड़कों की स्थिति खराब है। बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है, और 75 ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में समय लग रहा है। कुल्लू, मंडी और कांगड़ा जिलों में बिजली कटौती से भी लोग परेशान हैं।


मानसून की तबाही

राज्य में इस मानसून के दौरान भारी तबाही मच चुकी है, जिसमें बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी आपदाएं शामिल हैं। अब तक 135 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें से 76 मौतें भूस्खलन और बाढ़ के कारण हुई हैं, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में 59 लोग मारे गए हैं।