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अर्जुन रुहल की कुश्ती यात्रा: ₹10 से एशियाई चैंपियन तक का सफर

अर्जुन रुहल की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो ₹10 की कुश्ती से शुरू होकर एशियाई चैंपियन बनने तक पहुंची। हरियाणा के छोटे से गांव से उठकर, अर्जुन ने वियतनाम में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल अपने गांव का नाम रोशन किया, बल्कि युवा पहलवानों के लिए एक मिसाल भी बने। जानें उनकी मेहनत, संघर्ष और भविष्य के लक्ष्यों के बारे में।
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अर्जुन रुहल की कुश्ती यात्रा: ₹10 से एशियाई चैंपियन तक का सफर

अर्जुन रुहल की प्रेरणादायक कहानी

अर्जुन रुहल कुश्ती: ₹10 की कुश्ती से एशियाई चैंपियन बनने तक की कहानी: अर्जुन रुहल ने हरियाणा के एक छोटे से गांव से अपनी यात्रा शुरू की और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।


वियतनाम में आयोजित अंडर-17 एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में 92 किलोग्राम फ्रीस्टाइल श्रेणी में गोल्ड मेडल जीतकर अर्जुन ने एक नया इतिहास रच दिया। उनकी विनम्रता और अपने मूल से जुड़ाव ने उन्हें और भी खास बना दिया। गोल्ड जीतने के बाद, अर्जुन उसी मिनी दंगल में लौटे, जहां उन्होंने 9 साल की उम्र में ₹10 की कुश्ती जीती थी। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।


मिनी दंगल से शुरू हुआ सफर


2017 में रोहतक जिले के सांपला कस्बे में बच्चों के लिए मिनी कुश्ती दंगल की शुरुआत हुई। यहीं से 9 साल के अर्जुन ने पहली बार ₹10 की कुश्ती जीतकर पहलवानी की दुनिया में कदम रखा। उस छोटी सी जीत ने उनके मन में बड़े सपनों का बीज बोया।


उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें वियतनाम की अंडर-17 एशियन चैंपियनशिप तक पहुंचाया, जहां उन्होंने 92 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में गोल्ड मेडल जीतकर हरियाणा और भारत को गर्वित किया। यह कहानी उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो छोटे से शुरू कर बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।


गोल्ड मेडल और गांव का सम्मान


वियतनाम से गोल्ड मेडल जीतने के बाद, अर्जुन अपने गांव के मिनी दंगल में लौटे। वहां की दंगल कमेटी ने उनकी उपलब्धि पर गर्व जताते हुए उन्हें ₹11,000 का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया। अर्जुन ने भावुक होकर कहा, “इसी दंगल से मेरी शुरुआत हुई थी। आज गोल्ड मेडल जीतने के बाद यहाँ आकर आशीर्वाद लेना जरूरी था।” उन्होंने अपने अगले लक्ष्य के बारे में बताया कि वे जूनियर और सीनियर स्तर पर कॉमनवेल्थ और ओलंपिक में मेडल जीतना चाहते हैं। उनकी यह विनम्रता सभी के लिए एक मिसाल है।


हरियाणा का गौरव, देश की प्रेरणा


अर्जुन की इस सफलता ने सांपला गांव और पूरे हरियाणा में खुशी की लहर दौड़ा दी। दंगल कमेटी के एक सदस्य ने कहा, “अर्जुन ने हमारे छोटे से दंगल से शुरू कर एशिया में गोल्ड जीता। यह पूरे क्षेत्र की जीत है।” अर्जुन की उपलब्धि ने न केवल स्थानीय समुदाय को गर्व से भर दिया, बल्कि युवा पहलवानों को भी प्रेरित किया। उनकी मेहनत और जुनून यह दर्शाता है कि छोटे से गांव से भी विश्व स्तर पर नाम कमाया जा सकता है। अर्जुन का यह सफर हरियाणा की कुश्ती परंपरा को और मजबूत करता है।