अल-अक्सा मस्जिद विवाद: इजरायली मंत्री का दौरा और क्षेत्रीय तनाव

अल-अक्सा मस्जिद का महत्व
जेरूसलम के पुराने शहर में स्थित अल-अक्सा मस्जिद परिसर इस्लाम और यहूदी धर्म के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। इसे इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, जबकि यहूदियों के लिए इसे टेम्पल माउंट के नाम से जाना जाता है, जहां प्राचीन यहूदी धार्मिक स्थल हुआ करते थे। हाल ही में इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमर बेन-ग्विर के इस परिसर में दौरे और प्रार्थना करने की खबर ने एक बार फिर विवाद को जन्म दिया है।
इस स्थल का धार्मिक महत्व
अल-अक्सा मस्जिद परिसर जेरूसलम के पुराने शहर में एक पहाड़ी पर स्थित है। इसे इस्लाम में हरम अल-शरीफ (पवित्र अभयारण्य) कहा जाता है, जिसमें मस्जिद-ए-अक्सा और डोम ऑफ द रॉक जैसे महत्वपूर्ण ढांचे शामिल हैं। यहूदियों के लिए यह स्थल टेम्पल माउंट के रूप में पवित्र है, क्योंकि यहां कभी दो प्राचीन यहूदी मंदिर थे, जिनका विनाश रोमन काल में हुआ।
इजरायली मंत्री का विवादास्पद दौरा
इजरायल के दक्षिणपंथी नेता और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमर बेन-ग्विर ने 3 अगस्त 2025 को अल-अक्सा मस्जिद परिसर का दौरा किया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने न केवल इस स्थल पर प्रवेश किया, बल्कि वहां प्रार्थना करने का भी दावा किया, जो स्थिति यथास्थिति समझौते का उल्लंघन है। टेम्पल माउंट प्रशासन नामक एक छोटे यहूदी संगठन द्वारा जारी वीडियो में बेन-ग्विर को परिसर में एक समूह के साथ घूमते हुए देखा गया।
समझौते का उल्लंघन
बेन-ग्विर का यह कदम स्थिति यथास्थिति समझौते के खिलाफ माना जा रहा है। इजरायल की आधिकारिक नीति इस समझौते का समर्थन करती है, और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बेन-ग्विर के दौरे के बाद कहा कि अल-अक्सा परिसर में स्थिति यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
क्षेत्र में बढ़ता तनाव
हालांकि 3 अगस्त 2025 को इस दौरे के बाद तत्काल हिंसा की कोई खबर नहीं आई, लेकिन इस घटना ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। अल-अक्सा मस्जिद परिसर मध्य पूर्व के सबसे संवेदनशील स्थानों में से एक है और यहां होने वाली किसी भी घटना का प्रभाव पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा सकता है।