अहमदाबाद के छात्र ने रंग दृष्टिहीनों के लिए विकसित किया मशीन लर्निंग मॉडल

रंगों की पहचान में कठिनाई का सामना
अहमदाबाद के एक युवा छात्र, आहान रितेश प्रजापति, ने बचपन से रंगों की पहचान में कठिनाई का सामना किया। अब, उन्होंने इस चुनौती को अपनी ताकत में बदलते हुए समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं। केवल 17 वर्ष की आयु में, उन्होंने एक मशीन लर्निंग मॉडल तैयार किया है, जो किताबों में चित्रों और नक्शों को रंग दृष्टिहीन छात्रों के लिए समझने में आसान बनाता है। इस उपलब्धि ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई है।
बचपन की कठिनाइयों का सामना
आहान ने बताया कि उन्हें बचपन में लैब गतिविधियों और कला कक्षाओं में सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। रंगों को पहचानने में असमर्थता के कारण, चौथी कक्षा में उनका टेस्ट हुआ, जिसमें पता चला कि वे रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस से ग्रसित हैं। यह अनुभव उनके जीवन को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
समाज के लिए एक पहल
अपनी समस्या को दूसरों की सहायता का माध्यम बनाने के लिए, आहान ने 'Aiding Colours' नामक एक सामाजिक पहल शुरू की। इसके तहत, उन्होंने सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों का इशिहारा टेस्ट आयोजित किया। लगभग 30 स्कूलों में जाकर, उन्होंने 120 छात्रों में रंग दृष्टिहीनता की समस्या का पता लगाया।
रंगों की पहचान में बाधा
आहान ने महसूस किया कि रंगों की पहचान न कर पाने के कारण कई छात्रों के करियर के सपने अधूरे रह जाते हैं, विशेषकर डिफेंस सेवाओं, एयरलाइंस और रेलवे में। इसी सोच के साथ, उन्होंने इमेज एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें कंप्यूटर की सहायता से चित्रों और नक्शों को इस तरह से बदला गया कि रंग दृष्टिहीन बच्चे भी उन्हें आसानी से समझ सकें।
स्कूल से मिली सहायता
आहान ने पहले आनंद (गुजरात) में इस प्रोजेक्ट पर काम किया, लेकिन अदाणी इंटरनेशनल स्कूल में आने के बाद उन्हें भरपूर सहयोग मिला। स्कूल ने उन्हें मंच प्रदान किया और छात्रों के लिए परीक्षण शिविर आयोजित करने की अनुमति दी, जिसमें 300 से अधिक छात्रों की जांच की गई।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और पुरस्कार
उनके इस नवाचार ने शानदार सफलता प्राप्त की, जिसमें लगभग 99.7% सटीकता के साथ परिणाम दिए गए। इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रतिष्ठित Crest Gold Award (UK) से सम्मानित किया गया। उनका कार्य अंतरराष्ट्रीय अकादमिक मंचों पर सराहा गया और जल्द ही यह शोध न्यूयॉर्क स्थित International Journal of High School Research में प्रकाशित होने जा रहा है।
10,000 से अधिक छात्रों की जांच
आहान ने डॉ. शिवानी भट्ट चैरिटेबल फाउंडेशन के सहयोग से गुजरात के चार जिलों में बड़े पैमाने पर रंग दृष्टिहीनता स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किए। इनमें 10,000 से अधिक छात्रों की जांच की गई, जिनमें से 131 बच्चों को पहली बार पता चला कि वे रंग दृष्टिहीन हैं। यह कई बच्चों के लिए उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
संवेदनशील पहल
तकनीकी मॉडल बनाने के साथ-साथ, उन्होंने डबल लेंग्वेज किताबें, शिक्षकों के लिए गाइड और समावेशी स्टेशनरी भी तैयार की ताकि हर कक्षा अधिक संवेदनशील और सहायक बन सके। अगले पांच वर्षों में, वे इस प्रोजेक्ट को पूरे गुजरात और भारत में फैलाना चाहते हैं। इसके साथ ही, वे चाहते हैं कि स्कूलों में रंग दृष्टिहीनता की जांच अनिवार्य हो और किताबों में ऐसे बदलाव हों जिससे सभी बच्चों को समान अवसर मिल सके।
आहान की प्रेरणा
आहान के लिए सबसे बड़ी खुशी तब होती है जब कोई बच्चा उनके प्रयासों के कारण आसानी से पढ़ाई समझ पाता है। वे कहते हैं, "अगर मेरी कोशिश से एक भी बच्चा बेहतर ढंग से सीख पाता है, तो मैं इसे अपनी सफलता मानता हूं।"