Newzfatafatlogo

कैथल में पराली जलाने के मामलों में कमी, किसानों की जागरूकता का असर

कैथल जिले में किसानों की जागरूकता के चलते पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। हरसेक ऐप के माध्यम से 32 स्थानों की जानकारी मिली है, जबकि कृषि विभाग की जांच में केवल नौ स्थानों पर आगजनी की घटनाएं पाई गई हैं। इस लेख में जानें कैसे कृषि विभाग ने आगजनी की घटनाओं को नियंत्रित किया और किसानों पर क्या कार्रवाई की गई।
 | 
कैथल में पराली जलाने के मामलों में कमी, किसानों की जागरूकता का असर

कैथल में पराली जलाने की घटनाओं में कमी

कैथल। जिले में किसानों की जागरूकता के चलते पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। हरसेक ऐप के माध्यम से अब तक 32 स्थानों की जानकारी प्राप्त हुई है। कृषि विभाग की जांच में केवल नौ स्थानों पर आगजनी की घटनाएं पाई गई हैं, जिसके चलते 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। शनिवार को कृषि विभाग की टीम ने गांव कुतुबपुर में खेतों का निरीक्षण किया।


आगजनी की घटनाओं पर नजर

कैथल में अब तक आठ किसानों पर केस दर्ज


निरीक्षण के दौरान एक किसान के खेत में आग लगी हुई थी। टीम ने तुरंत फायर बिग्रेड को बुलाया और आग पर काबू पाया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। पास में एक शैलर था, जिसमें आग लगने से बड़ा नुकसान हो सकता था। आगजनी का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है। कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेंद्र यादव और जगदीश मलिक ने आग को नियंत्रित किया। दूसरी घटना गांव किठाना में हुई थी।


किसान के खिलाफ मामला दर्ज

किसान के खिलाफ मामला दर्ज


कलायत पुलिस ने धान के अवशेषों को जलाने के आरोप में एक किसान के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला कृषि विभाग के सुपरवाइजर विवेक की शिकायत पर दर्ज किया गया। विवेक ने बताया कि हरसेक ऐप के माध्यम से पता चला कि गांव सिणंद में एक किसान ने धान के अवशेषों में आग लगाई थी। जब टीम वहां पहुंची, तो किसान अमरीक सिंह के खेतों में आग लगाई गई थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।


पराली जलाने के दुष्प्रभाव

कृषि विभाग के सहायक अभियंता जगदीश चंद्र मलिक ने बताया कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरता में कमी आती है और प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। अब तक 32 स्थानों की जानकारी मिली है, जिनमें से 9 स्थानों पर आगजनी की घटनाएं सही पाई गईं।


पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति

पिछले वर्ष इतने मामले दर्ज हुए


पिछले वर्ष 168 स्थानों पर आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि पूरे सीजन में 194 घटनाएं हुई थीं। इस दौरान किसानों पर डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था और लगभग 50 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। कैथल जिले में अब तक आठ लाख मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया जा चुका है। एक्स सी टू के माध्यम से साढ़े पांच लाख और इन सीटू के माध्यम से ढाई लाख मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया गया है।


पराली प्रबंधन की पहल

एक्स सी टू में बेलर का उपयोग कर पराली का प्रबंधन किया जा रहा है। जिले में 250 बेलर पराली की गांठें बना रहे हैं। इन सीटू में सुपर सीडर, एबमी प्लो और मल्चर मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। किसानों को लगभग चार हजार रुपये की मशीन अनुदान पर दी गई हैं। पराली प्रबंधन के लिए 742 कर्मचारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं और 20 प्लाटों में प्रबंधन किया जा रहा है।