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क्या Artificial Intelligence में चेतना आ सकती है? जानें विशेषज्ञों की राय

क्या Artificial Intelligence में चेतना आ सकती है? Cambridge University के दार्शनिक डॉ. टॉम मैकक्लेलैंड ने इस विषय पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने चेतना की परिभाषा और AI की संभावनाओं पर चर्चा की है। क्या AI केवल एक उपकरण है या यह कुछ और बन रहा है? जानें इस लेख में वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण और चेतना के रहस्यों के बारे में।
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क्या Artificial Intelligence में चेतना आ सकती है? जानें विशेषज्ञों की राय

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता प्रभाव


टेक न्यूज़: आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यह न केवल समाचार लिखता है, बल्कि चित्र भी बनाता है, कोडिंग करता है, बैंकिंग में सहायता करता है, अनुसंधान को तेज करता है, और चिकित्सा निर्णयों में भी मदद करता है। मोबाइल फोन से लेकर कार्यालयों तक, AI का प्रभाव हर जगह देखा जा सकता है। यह तेजी से लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या AI केवल एक उपकरण है या कुछ और बनता जा रहा है।


चेतना पर डॉ. टॉम मैकक्लेलैंड की चेतावनी

इस विषय पर बहस को Cambridge University के दार्शनिक डॉ. टॉम मैकक्लेलैंड ने बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा है कि AI में चेतना आने की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया जा सकता। उनका मानना है कि इस विषय पर हमारे पास ठोस सबूत बहुत कम हैं, इसलिए जल्दबाज़ी में किसी निष्कर्ष पर पहुँचना खतरनाक हो सकता है।


डॉ. टॉम का दृष्टिकोण

डॉ. टॉम मैकक्लेलैंड ने स्पष्ट किया कि सबसे समझदारी वाला दृष्टिकोण अज्ञेयवाद का है। इसका मतलब है न तो पूरी तरह से विश्वास करना और न ही पूरी तरह से इनकार करना। उन्होंने कहा कि यह मान लेना कि AI कभी सचेत नहीं होगा, वैज्ञानिक दृष्टि से सही नहीं है। मौजूदा सबूत इस दावे को पूरी तरह साबित नहीं करते, इसलिए यह सवाल खुला हुआ है।


AI की चेतना का परीक्षण क्यों नहीं किया जा सकता?

सबसे बड़ी समस्या यह है कि इंसान खुद नहीं जानता कि चेतना कैसे शुरू होती है। वैज्ञानिकों के पास चेतना की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। जब इंसानी चेतना की जड़ें ही स्पष्ट नहीं हैं, तो मशीन में चेतना को मापना असंभव हो जाता है। यही कारण है कि AI की चेतना का कोई विश्वसनीय परीक्षण मौजूद नहीं है। शायद भविष्य में भी यह सवाल अधूरा ही रहेगा।


AI की चेतना का क्या अर्थ होगा?

यदि AI सचेत हो गया, तो वह केवल आदेशों का पालन करने वाली मशीन नहीं रहेगा। वह भावनाओं को महसूस कर सकेगा और खुद को पहचान सकेगा। यही विचार लोगों को डराता है। फिल्मों में दिखाए जाने वाले किलर रोबोट जैसे दृश्य इसी डर से जुड़े हैं। डॉ. टॉम का कहना है कि AI यह छलांग चुपचाप भी लगा सकता है, और हमें पता भी नहीं चलेगा।


विज्ञान का दूसरा पक्ष

कई वैज्ञानिक मानते हैं कि चेतना एक जैविक प्रक्रिया है। उनके अनुसार, चेतना दिमाग और शरीर से उत्पन्न होती है। मशीनें केवल व्यवहार की नकल कर सकती हैं और असली चेतना हासिल नहीं कर सकतीं। इस दृष्टिकोण का कहना है कि AI चाहे कितना भी उन्नत हो जाए, वह इंसान जैसा सचेत नहीं बन सकता। वह केवल प्रोग्राम का पालन करता रहेगा।


असली सवाल क्या है?

असल सवाल यह नहीं है कि AI क्या कर सकता है, बल्कि यह है कि इंसान चेतना को कितना समझता है। जब तक इंसान खुद चेतना की गहराई नहीं समझेगा, तब तक AI को लेकर डर और बहस बनी रहेगी। यही कारण है कि वैज्ञानिक भी आज स्पष्ट उत्तर देने से बच रहे हैं। भविष्य अभी खुला हुआ है।