क्या भारत में उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं का भविष्य सुरक्षित है? DCC ने TRAI से मांगा स्पष्टीकरण

DCC की TRAI से स्पष्टीकरण की मांग
डिजिटल संचार आयोग (DCC), जो दूरसंचार विभाग (DoT) की नीति निर्धारक संस्था है, ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से उपग्रह आधारित स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्य निर्धारण पर कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्टीकरण मुख्य रूप से शहरी ग्राहकों पर प्रस्तावित अतिरिक्त शुल्क और न्यूनतम वार्षिक स्पेक्ट्रम शुल्क से संबंधित है।
शहरी ग्राहकों पर अतिरिक्त शुल्क की चिंता
सूत्रों का कहना है कि DCC की बैठक में शहरी उपभोक्ताओं से प्रति वर्ष ₹500 अतिरिक्त वसूलने के TRAI के प्रस्ताव पर सवाल उठाए गए। विभाग का मानना है कि इससे कार्यान्वयन, बिलिंग और शहरी-ग्रामीण ग्राहकों के बीच भेदभाव तय करने में तकनीकी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
अधिकारियों को आशंका है कि इस तरह का शुल्क दूरदराज़ इलाकों में सेवाएँ देने के उद्देश्य से शुरू किए गए उपग्रह ब्रॉडबैंड मॉडल को शहरी क्षेत्रों में महंगा बनाकर ग्राहकों के लिए कम आकर्षक बना सकता है।
न्यूनतम स्पेक्ट्रम शुल्क पर चर्चा
TRAI ने जीएसओ (Geostationary Orbit) और एनजीएसओ (Non-Geostationary Orbit) आधारित स्थिर और मोबाइल उपग्रह सेवाओं के लिए ₹3,500 प्रति मेगाहर्ट्ज प्रति वर्ष का न्यूनतम स्पेक्ट्रम शुल्क तय करने की सिफारिश की थी। लेकिन DCC का मानना है कि स्पेक्ट्रम एक सीमित और मूल्यवान संसाधन है, इसलिए यह राशि बहुत कम है और उन कंपनियों को हतोत्साहित नहीं कर पाएगी जो स्पेक्ट्रम लेकर भी उसका उपयोग नहीं करतीं। विभाग का सुझाव है कि कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए यह शुल्क अधिक रखा जाए।
TRAI की सिफारिशें
TRAI ने मई 2025 में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाओं के लिए 4% वार्षिक राजस्व शेयर (AGR) का शुल्क लगाने और स्पेक्ट्रम को 5 साल की अवधि के लिए आवंटित करने की सिफारिश की थी, जिसे आगे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है। इस क्षेत्र में यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को पहले ही दूरसंचार विभाग से लाइसेंस मिल चुका है, जबकि अमेजन की कुइपर (Kuiper) को मंजूरी का इंतजार है।
स्पेसएक्स की स्टारलिंक भी भारत में सेवाएं शुरू करने के लिए रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ साझेदारी कर रही है। ये कंपनियां अपने नेटवर्क से स्टारलिंक उपकरण उपलब्ध कराएंगी और ग्राहकों को इंस्टॉलेशन व तकनीकी सहायता देंगी।
सख्त सुरक्षा मानकों का पालन
सरकार ने इस साल की शुरुआत में उपग्रह संचार सेवाओं के लिए कड़े सुरक्षा मानदंड जारी किए। इनमें सेवा प्रदाताओं को भारत के भीतर कानूनी इंटरसेप्शन की सुविधा देना, डेटा को विदेश में प्रोसेस न करना और नेटवर्क का कम से कम 20% भू-खंड दो साल के भीतर भारत में स्वदेशीकरण करना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, कंपनियों को अपने गेटवे व हब स्थलों के लिए सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी और निगरानी एवं अवरोधन (lawful interception) संबंधी प्रावधानों का पालन करना होगा।