गूगल क्रोम और जेमिनी इंटीग्रेशन से बढ़ी प्राइवेसी चिंताएँ
गूगल ने हाल ही में क्रोम और जेमिनी के इंटीग्रेशन की घोषणा की है, जो यूजर्स की प्राइवेसी के लिए चिंता का विषय बन गया है। रिपोर्टों के अनुसार, यह नया अपडेट संवेदनशील डेटा जैसे नाम, लोकेशन और ब्राउज़िंग इतिहास इकट्ठा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इंटीग्रेशन यूजर्स की जानकारी को थर्ड-पार्टी कंपनियों तक पहुंचा सकता है। जानें इस अपडेट के संभावित खतरों के बारे में और क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
Oct 1, 2025, 19:36 IST
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गूगल क्रोम और जेमिनी का नया इंटीग्रेशन
हाल ही में गूगल ने क्रोम और जेमिनी के इंटीग्रेशन को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। रिपोर्टों के अनुसार, गूगल का ब्राउजर अब स्मार्टफोन से संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर रहा है, जिसमें आपका नाम, स्थान, डिवाइस आईडी, ब्राउज़िंग और सर्च इतिहास, उत्पाद इंटरैक्शन और खरीदारी का रिकॉर्ड शामिल है।
गूगल ने यह भी बताया है कि अब से क्रोम में जेमिनी को जोड़ा जा रहा है, जिसे कंपनी ने अब तक का सबसे बड़ा अपडेट माना है। हालांकि, Surfshark की रिपोर्ट के अनुसार, यह अपडेट यूजर्स की प्राइवेसी के लिए सबसे अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। रिसर्च में पाया गया है कि क्रोम और जेमिनी मिलकर 24 प्रकार का डेटा इकट्ठा करते हैं, जो किसी अन्य एआई ब्राउजर की तुलना में कहीं अधिक है।
यह ध्यान देने योग्य है कि माइक्रोसॉफ्ट एजे और Copilot मिलकर केवल आधा डेटा ट्रैक करते हैं, जबकि Perplexity, Opera और Brave जैसे ब्राउजर बहुत कम जानकारी इकट्ठा करते हैं। Surfshark ने चेतावनी दी है कि यूजर्स को यह समझना चाहिए कि क्रोम में जेमिनी जोड़ने के बाद उनकी कितनी जानकारी सुरक्षित नहीं रह जाती।
केवल क्रोम ही नहीं, बल्कि Edge और Firefox जैसे ब्राउजर भी एआई एक्सटेंशन की सुविधा प्रदान करते हैं। लेकिन इन टूल्स को इंस्टॉल करने से आपकी व्यक्तिगत जानकारी थर्ड-पार्टी कंपनियों तक पहुंच सकती है। कई बार आधिकारिक स्टोर से डाउनलोड किए गए एक्सटेंशन भी डेटा चोरी में शामिल पाए गए हैं।
गूगल का कहना है कि जेमिनी क्रोम केवल तब सक्रिय होता है जब आप इसे स्वयं उपयोग करते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि जैसे ही आप इसका उपयोग करते हैं, आपकी जानकारी कंपनी के पास पहुंच जाती है। रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि गूगल अपने लोकप्रिय इमेज एडिटिंग टूल Nano Banana को Google Photos में ला सकता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि हर अपलोड की गई फोटो में आपके चेहरे की बायोमेट्रिक जानकारी, जीपीएस लोकेशन, डिवाइस विवरण और सोशल नेटवर्क पैटर्न जैसी संवेदनशील जानकारी छिपी होती है।