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चंडीगढ़ में हीटवेव और कृषि पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में 50 से अधिक पत्रकारों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पंजाब में हीटवेव और असमान वर्षा के प्रभावों को समझना था। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर चर्चा की और पत्रकारों को सटीक रिपोर्टिंग के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम का समापन मीडिया और वैज्ञानिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ाने के संकल्प के साथ हुआ।
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चंडीगढ़ में हीटवेव और कृषि पर मीडिया कार्यशाला का आयोजन

कार्यशाला का उद्देश्य और भागीदारी


चंडीगढ़ समाचार: चंडीगढ़ प्रेस क्लब में मंगलवार को हीटवेव और कृषि पर केंद्रित एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 50 से अधिक पत्रकारों, कृषि वैज्ञानिकों और जलवायु विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पंजाब की कृषि पर अत्यधिक गर्मी और असमान वर्षा के प्रभावों को समझना था।


कार्यशाला का आयोजन और उद्देश्य

यह पहल पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी और क्लीन एयर पंजाब जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों के सहयोग से आयोजित की गई। इसका उद्देश्य पत्रकारों को जलवायु परिवर्तन से संबंधित आंकड़ों के उपयोग और प्रभावी रिपोर्टिंग की रणनीतियों से लैस करना था, ताकि वे पंजाब में जलवायु संबंधी चुनौतियों को सटीकता और जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत कर सकें।


प्रेस क्लब के अध्यक्ष का उद्घाटन भाषण

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए चंडीगढ़ प्रेस क्लब के अध्यक्ष सौरभ दुग्गल ने सभी वक्ताओं और सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हीटवेव और असमान वर्षा का कृषि पर प्रभाव आज की सबसे महत्वपूर्ण चर्चाओं में से एक है। जलवायु असंतुलन के बढ़ने के साथ, किसानों की चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं।


जलवायु परिवर्तन पर मीडिया की भूमिका

पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कार्यकारी निदेशक इंजीनियर प्रितपाल सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करते समय मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। विज्ञान-आधारित पत्रकारिता न केवल जनता को जागरूक कर सकती है, बल्कि नीति-निर्माताओं को भी सही निर्णय लेने में मदद कर सकती है।


कृषि मौसम विज्ञान के विशेषज्ञों की राय

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. पी.एस. किंगरा ने कहा कि हीटवेव अब सामान्य स्थिति बन चुकी है, जो फसलों को नुकसान पहुँचा रही है। उन्होंने मीडिया की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि पत्रकार इस सच्चाई को जनता तक पहुँचाएँ।


कार्यशाला में चर्चा के विषय

कार्यशाला में जलवायु डेटा, हीटवेव के रुझान, प्रमुख फसलों पर प्रभाव, जल संकट और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर प्रस्तुतियाँ दी गईं। इसके साथ ही, फेक न्यूज़ से बचने और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में कृषि समाचारों की रिपोर्टिंग के व्यावहारिक सुझाव भी साझा किए गए।


कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि मीडिया और वैज्ञानिक संस्थानों के बीच साझेदारी को मजबूत किया जाएगा ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए जनसंवाद को बेहतर बनाया जा सके।