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चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट: 13 साल बाद फिर से शुरू होने की तैयारी

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट, जो 13 साल पहले शुरू हुआ था, अब फिर से गति पकड़ने की तैयारी में है। इस परियोजना की लागत ₹23,263 करोड़ है और यह 85.65 किमी के तीन कॉरिडोर के साथ शहर की परिवहन प्रणाली को बदलने की क्षमता रखती है। RITES की हालिया रिपोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को नई ऊर्जा दी है, जिसमें ट्रैफिक डिमांड और लागत का विस्तृत विवरण शामिल है। जानें कि यह मेट्रो चंडीगढ़ के लिए क्या संभावनाएं लेकर आएगी और इसके निर्माण से शहरवासियों को क्या लाभ होगा।
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चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट: 13 साल बाद फिर से शुरू होने की तैयारी

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट: 13 साल बाद फिर से रफ्तार

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट फिर से चर्चा में है! यह परियोजना, जो 13 साल पहले शुरू हुई थी, 2017 में ठप हो गई थी, लेकिन अब इसे फिर से गति मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक में RITES की "सिनेरियो एनालिसिस रिपोर्ट" पर चर्चा की जाएगी।


इस प्रोजेक्ट की लागत ₹23,263 करोड़ है और यह 85.65 किमी के तीन कॉरिडोर के साथ शहर की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है। आइए, इस मेट्रो की नई कहानी को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि यह चंडीगढ़ के लिए क्या संभावनाएं लेकर आएगा!


चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट: 13 साल बाद जागा मेट्रो का सपना

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट (Chandigarh Metro Project) की शुरुआत 2012 में हुई थी, लेकिन 2017 में यह ठप हो गया। अब, 13 साल बाद, यह प्रोजेक्ट फिर से चर्चा में है। चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में एक संयुक्त समिति इसकी सभी बारीकियों पर ध्यान दे रही है।


RITES लिमिटेड की हालिया रिपोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को नई ऊर्जा दी है। यह रिपोर्ट ट्रैफिक, लागत, और यात्रियों की आवश्यकताओं का विस्तृत खाका प्रस्तुत करती है। क्या यह मेट्रो चंडीगढ़ को दिल्ली जैसी गति प्रदान कर सकेगी?


RITES रिपोर्ट: मेट्रो की हर बात का हिसाब

RITES लिमिटेड, एक सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी, ने अपनी "सिनेरियो एनालिसिस रिपोर्ट" में मेट्रो से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया है। इसमें ट्रैफिक डिमांड, ज़ोनल एनालिसिस, यात्रियों की संख्या, पावर सप्लाई, और निर्माण लागत का पूरा विवरण है।


प्रस्तावित मेट्रो तीन कॉरिडोर में 85.65 किमी लंबी होगी। यदि यह पूरी तरह से एलिवेटेड (Elevated Metro) बनी, तो इसकी लागत ₹23,263 करोड़ होगी, जबकि अंडरग्राउंड होने पर यह ₹27,680 करोड़ तक पहुंच सकती है। 2031 तक कुल लागत ₹25,631 करोड़ (एलिवेटेड) या ₹30,498 करोड़ (अंडरग्राउंड) तक बढ़ सकती है।


किराया और रिटर्न

RITES की रिपोर्ट में मेट्रो किराए की संरचना भी बताई गई है, जो दिल्ली मेट्रो के समान होगी। हर साल 5% किराया बढ़ोतरी का अनुमान है। 30 साल (5 साल निर्माण + 25 साल संचालन) के लिए वित्तीय रिटर्न का भी आकलन किया गया है।


एलिवेटेड कॉरिडोर का रिटर्न 5.26% और अंडरग्राउंड का 4% होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मेट्रो यात्रियों की अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी? RITES से ट्रैफिक वृद्धि और किराया वृद्धि के आंकड़ों पर और स्पष्टता मांगी गई है।


चंडीगढ़ के लिए मेट्रो का मतलब

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट केवल एक परिवहन साधन नहीं है, बल्कि यह शहर के विकास की नई कहानी है। यह ट्रैफिक जाम से राहत देगा, पर्यावरण की रक्षा करेगा, और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। लेकिन इसके लिए पर्यावरण मंजूरी और सही योजना की आवश्यकता है। यदि यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है, तो चंडीगढ़ की सड़कों पर रफ्तार और शांति दोनों आएंगे। यह मेट्रो शहरवासियों के लिए एक नया उपहार हो सकता है, बशर्ते इसे सही दिशा मिले।