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चीन ने सेमीकंडक्टर तकनीक में नया मील का पत्थर स्थापित किया: EUV लिथोग्राफी मशीन का प्रोटोटाइप तैयार

चीन ने सेमीकंडक्टर तकनीक में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है, जब शेनझेन में वैज्ञानिकों ने EUV लिथोग्राफी मशीन का प्रोटोटाइप विकसित किया। यह मशीन उन्नत चिप्स के निर्माण में सहायक होगी, जो AI, स्मार्टफोन्स और सैन्य प्रणालियों में उपयोग होती हैं। अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद, चीन की प्रगति इस क्षेत्र में तेजी से हो रही है। जानें इस मशीन की विशेषताएँ और भविष्य की संभावनाएँ।
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चीन ने सेमीकंडक्टर तकनीक में नया मील का पत्थर स्थापित किया: EUV लिथोग्राफी मशीन का प्रोटोटाइप तैयार

चीन की नई तकनीकी उपलब्धि


चीन ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। शेनझेन स्थित एक उच्च सुरक्षा प्रयोगशाला में, चीनी वैज्ञानिकों ने एक्सट्रीम अल्ट्रावायलेट (EUV) लिथोग्राफी मशीन का प्रोटोटाइप विकसित किया है।


मशीन की कार्यक्षमता

यह मशीन उन्नत चिप्स के निर्माण में सहायक होगी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्टफोन्स और सैन्य प्रणालियों में उपयोग होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रोटोटाइप 2025 की शुरुआत में तैयार हुआ और वर्तमान में परीक्षण प्रक्रिया में है।


विशेषताएँ और आकार

यह प्रोटोटाइप काफी बड़ा है, जो लगभग एक पूरे फैक्ट्री के फर्श के बराबर जगह घेरता है। इसमें पूर्व ASML इंजीनियरों की टीम ने काम किया है, जिन्होंने पुराने मशीनों के हिस्सों का उपयोग कर रिवर्स इंजीनियरिंग की।


यह मशीन EUV लाइट उत्पन्न कर रही है, जो चिप्स पर बारीक सर्किट बनाने के लिए आवश्यक है। हालांकि, अभी तक इससे कार्यशील चिप्स का निर्माण नहीं हुआ है।


लिथोग्राफी मशीन का कार्य

लिथोग्राफी मशीन सिलिकॉन वेफर्स पर अत्यंत छोटे सर्किट प्रिंट करती है, जो मानव बाल की मोटाई से हजारों गुना पतले होते हैं। इससे तेज और शक्तिशाली चिप्स का निर्माण होता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले फोन, AI और रक्षा प्रणालियों में उपयोग होती हैं। वर्तमान में, केवल नीदरलैंड्स की ASML कंपनी ही EUV मशीनें बनाती है, जिनकी कीमत लगभग 2075 करोड़ रुपये है।


अमेरिकी प्रतिबंध और चीन की प्रगति

2018 से अमेरिका के दबाव के कारण, नीदरलैंड्स ने ASML को चीन को EUV मशीनें बेचने से रोक दिया है। ASML ने कभी भी चीन को ये मशीनें नहीं बेचीं। ASML के CEO ने अप्रैल में कहा था कि चीन को यह तकनीक विकसित करने में कई साल लगेंगे।


हालांकि, अब यह प्रोटोटाइप दिखाता है कि चीन अपेक्षा से अधिक तेजी से प्रगति कर रहा है। हुवेई ने हजारों इंजीनियरों का नेटवर्क बनाकर इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


भविष्य की संभावनाएँ

चीन 2028 तक इस तकनीक से चिप्स का निर्माण करना चाहता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 एक अधिक यथार्थवादी लक्ष्य है। तब तक, दुनिया हाई-NA EUV तकनीक पर पहुंच जाएगी। फिर भी, यह उपलब्धि चीन को चिप्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वैश्विक तकनीकी कंपनियाँ अब इस पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।