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पादाभ्यंग: थकान दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय

काम की थकान से राहत पाने के लिए आयुर्वेद में पादाभ्यंग, यानी तलवों की मालिश, को एक प्रभावी उपाय माना गया है। यह न केवल गहरी नींद लाने में मदद करता है, बल्कि तनाव को भी कम करता है। सही तेल का चयन करना महत्वपूर्ण है, जैसे तिल का तेल, नारियल का तेल, और गाय का घी। जानें कैसे ये तेल आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और पादाभ्यंग के अन्य लाभ।
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पादाभ्यंग: थकान दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय

पादाभ्यंग का महत्व

काम की थकान से राहत पाने के लिए कई उपाय मौजूद हैं, लेकिन आयुर्वेद में पादाभ्यंग, यानी तलवों की मालिश, को सबसे प्रभावी माना गया है।


पादाभ्यंग से न केवल शरीर को आराम मिलता है, बल्कि यह गहरी नींद लाने में भी मदद करता है। यह तनाव को कम करने और थकान को चुटकी में दूर करने में सहायक है, फिर भी बहुत से लोग इसके सही तरीके से अनजान हैं।


पादाभ्यंग के लिए सही तेल का चयन

आयुर्वेद में पादाभ्यंग को तनाव का शत्रु माना जाता है, क्योंकि यह मस्तिष्क से लेकर पैरों की नसों को आराम प्रदान करता है। पादाभ्यंग से तंत्रिका तंत्र शांत होता है, जिससे मन और शरीर दोनों को सुकून मिलता है।


पादाभ्यंग के लिए देसी घी और हर्बल तेल का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन घर में उपलब्ध तिल के तेल का भी उपयोग किया जा सकता है।


तिल और नारियल का तेल

तिल का तेल गर्म होता है और सर्दियों में इसका उपयोग करने से कई लाभ मिलते हैं। यह वात दोष को संतुलित करता है और जोड़ों तथा नसों को मजबूती प्रदान करता है।


नारियल का तेल गर्मियों में पादाभ्यंग के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इसकी ठंडी तासीर से पैर में ठंडक महसूस होती है और त्वचा को नमी मिलती है।


गाय का घी और सरसों का तेल

गाय के घी से पादाभ्यंग करने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है।


सरसों का तेल सर्दियों में पादाभ्यंग के लिए अच्छा रहता है, क्योंकि यह शरीर को गर्म रखता है और ठंडी हवाओं से बचाता है।


जैतून का तेल

सर्दियों में जैतून के तेल से तलवों की मालिश करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और पैरों की थकान दूर होती है।