पिठोरी अमावस्या: जानें इस दिन के महत्व और शुभ मुहूर्त

पिठोरी अमावस्या का महत्व
सभी कष्टों का निवारण
पिठोरी अमावस्या, जिसे भाद्रपद अमावस्या भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या का चंद्रमा से गहरा संबंध होता है, जो मन और भावनाओं को प्रभावित करता है। इस दिन ध्यान, पूजा, जप-तप और दान करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
शुभ मुहूर्त
इस दिन पितरों का तर्पण, पूजन, श्राद्ध और पिंडदान करने से सुख और शांति प्राप्त होती है। पिठोरी अमावस्या पर शुभ मुहूर्त में स्नान और दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
विजय मुहूर्त का समय
दोपहर 2:34 से 3:26 बजे तक विजय मुहूर्त रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:26 से 5:10 बजे तक है। निशिथ काल मध्य रात्रि 12:02 से 12:46 बजे तक रहेगा। गोधूलि बेला शाम 6:53 से 7:15 बजे तक है।
राहुकाल और अन्य समय
राहुकाल
सुबह 10:30 से 12:00 बजे तक राहुकाल रहेगा। सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक गुलिक काल है। दोपहर 3:30 से 4:30 बजे तक यमगंड रहेगा। अमृत काल सुबह 7:31 से 9:09 बजे तक है।
विशेष कार्य
स्नान और दान
पिठोरी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि नदी नहीं है, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
पीपल की पूजा
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करना आवश्यक है। पूजा के बाद आटे का चौमुखा दीपक बनाकर इसे पीपल के नीचे जलाना चाहिए।
पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान
शिवलिंग पर तिल चढ़ाना
पितरों के निमित्त किसी ब्राह्मण को भोजन कराना भी पुण्यकारी है। महादेव की पूजा करें और शिवलिंग पर तिल चढ़ाएं।
मंत्रों का जप
पितृ चालीसा का पाठ करना चाहिए और निम्नलिखित मंत्रों का जप करें:
- 1. ऊं पितृभ्य: स्वधायिभ्य: स्वाहा
- 2. ऊं तत्पुरुषाय विद्महे, महामृत्युंजय धीमहि, तन्नो पितृ प्रचोदयात्
- 3. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
- 4. ऊं पितृ देवतायै नम:
- 5. ऊं देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
दान की वस्तुएं
दान में क्या दें
- पका हुआ भोजन: चावल, दाल और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ जरूरतमंदों को दें।
- सूखा राशन: चावल, गेहूं, दाल, तेल और चीनी दान करें।
- कपड़े: नए या पुराने कपड़ों का दान करें।