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फरीदाबाद में अरावली अतिक्रमण पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई

फरीदाबाद में अरावली पर्वत श्रृंखला के निकट प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जिसके तहत 6,000 से अधिक घरों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई इस कार्रवाई ने हजारों लोगों के बेघर होने का संकट खड़ा कर दिया है। प्रशासन ने मकान मालिकों को 15 दिन का समय दिया है, अन्यथा बुलडोजर चलाने की चेतावनी दी गई है। यह मामला पर्यावरण संरक्षण और अवैध निर्माण के बीच टकराव को दर्शाता है।
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फरीदाबाद में अरावली अतिक्रमण पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई

फरीदाबाद में अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई

फरीदाबाद में अरावली अतिक्रमण: हजारों घरों पर खतरा: फरीदाबाद में अरावली पर्वत श्रृंखला के निकट प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। यहां लगभग 6,000 घरों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।


सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यह कार्रवाई शुरू हुई है, जिससे हजारों लोगों के बेघर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रशासन ने मकान मालिकों को 15 दिन का समय दिया है, अन्यथा बुलडोजर चलाने की चेतावनी दी गई है। यह मामला पर्यावरण संरक्षण और अवैध निर्माण के बीच टकराव को दर्शाता है। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

फरीदाबाद की अरावली पर्वत श्रृंखला में अवैध निर्माण लंबे समय से विवाद का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने आनंगपुर, आंखिर, लकड़पुर और मेवला महाराजपुर गांवों में 6,793 अवैध निर्माणों की पहचान की है।


इन निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। कुछ क्षेत्रों में छह बुलडोजर लगाकर तोड़फोड़ का काम शुरू हो चुका है। वन विभाग के सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग 6,000 अवैध निर्माण इस क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


15 दिन का अल्टीमेटम

जिला प्रशासन ने मकान मालिकों को 15 दिन का समय दिया है। इस अवधि में उन्हें अपने निर्माण को स्वयं ध्वस्त करने के लिए कहा गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो प्रशासन बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ करेगा। वन विभाग ने इस साल की शुरुआत में 700 स्थानों पर बने 6,000 से अधिक निर्माणों को नोटिस भेजा था।


हालांकि, अब तक केवल 50 निर्माण ही ध्वस्त किए गए हैं। हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि तोड़फोड़ के बाद मलबा पूरी तरह से साफ किया जाए। यह सुनिश्चित करेगा कि वन क्षेत्र में कोई अवशेष न रहे।


पर्यावरण और बेघर होने का संकट

यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है, लेकिन इससे हजारों परिवारों के बेघर होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। अरावली की प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता को बचाने की यह मुहिम स्थानीय निवासियों के लिए भारी पड़ रही है। उनका कहना है कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान की जानी चाहिए।


प्रशासन का दावा है कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन परिवारों के पुनर्वास की कोई योजना है? यह मुद्दा पर्यावरण और मानवीय संवेदना के बीच संतुलन की मांग करता है।