बादल फटने की घटनाएं: जानें इसके कारण और बचाव के उपाय

मॉनसून का कहर: पहाड़ी राज्यों में तबाही
इस समय देशभर में मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों की स्थिति सबसे गंभीर है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने की घटना ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके अलावा, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना ने व्यापक नुकसान पहुंचाया। अचानक आई बाढ़ ने धराली बाजार को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे दुकानों, वाहनों और स्थानीय संरचनाओं को गंभीर क्षति हुई।
बादल फटने की घटना क्या है?
मौसम विभाग के अनुसार, बादल फटना (Cloudburst) एक अत्यंत खतरनाक मौसमी घटना है, जिसमें किसी स्थान पर बहुत कम समय में भारी बारिश होती है। इसे हिंदी में मूसलधार बारिश का तीव्रतम रूप माना जा सकता है। इस दौरान बारिश की तीव्रता 100 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक हो सकती है, जिससे भूस्खलन, बाढ़ और जान-माल का नुकसान होता है।
बादल फटने की घटनाएं कब और कहां होती हैं?
बादल फटने की घटनाएं आमतौर पर जून से सितंबर के बीच, यानी मॉनसून के दौरान होती हैं। ये ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में होती हैं, जहां नमी से भरे बादल ऊंचे पहाड़ों से टकराते हैं और वहीं रुक जाते हैं, जिससे अचानक बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
कब होती हैं बादल फटने की घटनाएं?
बादल फटने की घटनाएं प्रायः दोपहर या रात के समय होती हैं, जब वायुमंडल में गर्मी और नमी का स्तर उच्चतम होता है। इस दौरान लाखों लीटर पानी एक साथ गिरता है, जिससे नदी-नालों का जलस्तर बढ़ जाता है और मलबा, पत्थर, कीचड़ आबादी तक पहुंच जाता है।
बादल फटने के वैज्ञानिक कारण
जब भारी मात्रा में नमी लिए बादल ऊंचे पहाड़ों से टकराते हैं, तो क्षेत्र में हरियाली की कमी से वाष्पीकरण और नमी संतुलन बिगड़ता है। अत्यधिक तापमान और जलवायु परिवर्तन भी इसके प्रमुख कारण हैं। जब बादल आपस में टकराते हैं, तो उनका घनत्व बढ़ जाता है और वे टूटकर वर्षा कर देते हैं।
बादल फटने से बचाव के उपाय
मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट को गंभीरता से लें। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना प्राथमिकता होनी चाहिए। कच्ची जमीन पर निर्माण से बचें ताकि पानी रुकने से नुकसान न हो। आपात स्थिति में घबराएं नहीं और निर्देशों का पालन करें। पहाड़ी इलाकों में निर्माण करते समय भूकंप और जलप्रवाह सहन करने योग्य होना चाहिए।
भारत में बादल फटने की प्रमुख घटनाएं
1998 में मालपा (उत्तराखंड) में 225 लोगों की मौत हुई, जिनमें 60 कैलाश मानसरोवर यात्री शामिल थे। 2004 में बद्रीनाथ में लगभग 17 लोगों की जान गई। 2005 में मुंबई में 26 जुलाई को भीषण क्लाउडबर्स्ट के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हुई। 2013 में केदारनाथ आपदा में लगभग 5000 से अधिक लोग मारे गए। बादल फटना एक गंभीर जलवायु घटना है, जिससे बचाव का एकमात्र उपाय समय पर चेतावनी को समझना और त्वरित निर्णय लेना है।