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भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का रहस्य और महत्व

भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का रहस्य और महत्व जानने के लिए इस लेख को पढ़ें। पुरी मंदिर की अनोखी विशेषताएँ, पौराणिक कथाएँ और भक्तों की श्रद्धा के बारे में जानें। क्या आप जानते हैं कि इन मूर्तियों की बड़ी आंखें क्या दर्शाती हैं? इस रहस्यमय धाम के बारे में और जानने के लिए आगे पढ़ें।
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भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का रहस्य और महत्व

भगवान जगन्नाथ की अनोखी मूर्ति 2025: रहस्यमय विशेषताएँ

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति 2025: भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अपने अनोखे स्वरूप के लिए जानी जाती है, जिसमें बड़ी-बड़ी आंखें, नथ और बिना हाथ-पैर का रूप शामिल है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है, और भगवान जगन्नाथ, बलराम, और सुभद्रा की अधूरी मूर्तियां इसका सबसे बड़ा रहस्य हैं। आखिर क्यों है ये मूर्तियां इतनी अलग? आइए, इस पवित्र धाम के रहस्यों को समझते हैं और जानते हैं कि ये अधूरी मूर्तियां क्यों खास हैं!


भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का पौराणिक रहस्य

कथाओं के अनुसार, राजा इंद्रद्युम्न ने पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बनाने का कार्य देव शिल्पकार विश्वकर्मा को सौंपा। विश्वकर्मा ने यह शर्त रखी कि मूर्ति बनने तक कोई भी कमरे में प्रवेश नहीं करेगा, अन्यथा वह काम अधूरा छोड़ देंगे। लेकिन राजा की जिज्ञासा ने उन्हें धोखा दे दिया। एक दिन, जब कोई आवाज नहीं आई, तो राजा ने दरवाजा खोल दिया। इससे नाराज होकर विश्वकर्मा ने मूर्तियां अधूरी छोड़कर अंतर्ध्यान हो गए। तब से जगन्नाथ, बलराम, और सुभद्रा की मूर्तियां अधूरी हैं, फिर भी इनकी पूजा श्रद्धा से की जाती है।


बड़ी आंखों का गहरा अर्थ

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की सबसे विशेष बात उनकी बड़ी आंखें हैं, जो उनके सर्वव्यापी होने का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि ये आंखें हर भक्त को देखती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। अधूरी मूर्ति ब्रह्म के निराकार स्वरूप को दर्शाती है। ये मूर्तियां पारंपरिक हिंदू मूर्तियों से भिन्न हैं, क्योंकि इनमें हाथ-पैर नहीं हैं। फिर भी, इनका अनोखा स्वरूप भक्तों के दिलों में खास स्थान रखता है। पुरी धाम में ये मूर्तियां भक्ति का केंद्र हैं।


नीम की लकड़ी और नवकलेवर का महत्व

भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां नीम की लकड़ी से बनाई जाती हैं, जिसे ‘दारू ब्रह्म’ कहा जाता है। यह लकड़ी पवित्र मानी जाती है। हर 12 साल में एक विशेष अनुष्ठान ‘नवकलेवर’ के तहत मूर्तियों को बदला जाता है। इस दौरान पुरानी मूर्तियों को नए स्वरूप में बनाया जाता है। यह प्रक्रिया हिंदू धार्मिक मान्यता में महत्वपूर्ण मानी जाती है। नवकलेवर का यह उत्सव भक्तों में नई ऊर्जा और भक्ति का संचार करता है।


पुरी मंदिर का अद्वितीय आकर्षण

पुरी का जगन्नाथ मंदिर केवल मूर्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी रहस्यमयी परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है। जगन्नाथ रथ यात्रा या मंदिर के अनसुलझे रहस्य, यह धाम भक्तों को हर बार हैरान करता है। भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति को देखकर भक्तों का विश्वास और गहरा हो जाता है। ये मूर्तियां बताती हैं कि भक्ति में पूर्णता नहीं, बल्कि श्रद्धा मायने रखती है।