भारत का अग्नि-6 मिसाइल: एक नई शक्ति का उदय

अग्नि-6 मिसाइल का परीक्षण
Agni-6 Missile: भारत ने एक अत्याधुनिक और घातक मिसाइल विकसित की है, जिसका परीक्षण हिंद महासागर में किया जा सकता है। सरकार ने 20 और 21 अगस्त को नोटिस टू एयरमैन (NOTAM) जारी किया है, जिसके अनुसार इन दो दिनों में हिंद महासागर का एक बड़ा क्षेत्र नो फ्लाई जोन रहेगा। यह क्षेत्र ओडिशा तट से लेकर हिंद महासागर तक फैला हुआ है, जिसकी दूरी 4795 किलोमीटर है।
अग्नि-6 की संभावित परीक्षण जानकारी
हालांकि अग्नि-6 मिसाइल के परीक्षण की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि अग्नि श्रृंखला के इस नवीनतम संस्करण का परीक्षण किया जा सकता है। इसके अलावा, अगस्त 2025 में तेजस Mk1A से अस्त्र Mk1 बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल का लाइव फायरिंग टेस्ट भी होने की चर्चा है, जो भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को और बढ़ाएगा।
अग्नि-6 की रेंज और विशेषताएँ
अग्नि-6 मिसाइल की रेंज
अग्नि-6 एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो अग्नि श्रृंखला का सबसे नया और उन्नत संस्करण है। इसे पनडुब्बियों से भी लॉन्च किया जा सकेगा। यह एक हाइपरसोनिक मिसाइल हो सकती है, जिसे जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन किया है और भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने निर्मित किया है।
इस मिसाइल का वजन 55000 से 70000 किलोग्राम के बीच हो सकता है और इसकी रेंज 8000 से 12000 किलोमीटर तक हो सकती है। इस रेंज में यूरोप, एशिया और अन्य महाद्वीप शामिल होंगे। इसकी लंबाई 20 से 40 मीटर हो सकती है और यह 1.5 से 3 टन तक का पेलोड ले जाने में सक्षम होगी, जिसमें परमाणु या पारंपरिक वारहेड शामिल हैं।
हाइपरसोनिक स्पीड और तकनीकी विशेषताएँ
हाइपरसोनिक स्पीड वाली मिसाइल
अग्नि-6 मिसाइल में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक हो सकती है, जिससे यह एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम होगी। इसमें हाइपरसोनिक स्पीड और मैन्यूवरेबल री-एंट्री व्हीकल (MARV) की क्षमता भी हो सकती है, जिससे यह आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सफल होगी।
इस मिसाइल को जमीन से लॉन्च किया जा सकेगा और भविष्य में इसे पनडुब्बियों से भी लॉन्च करने की योजना है। अग्नि-6 में आधुनिक इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS), सैटेलाइट नेविगेशन (GPS/NaVIC) और रडार-बेस्ड गाइडेंस सिस्टम होंगे, जो इसके निशाने को अत्यधिक सटीक बनाएंगे। यह भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस स्ट्रेटेजी को और मजबूत करेगा।
अग्नि-6 मिसाइल को परमाणु युद्ध में जवाबी हमले के लिए तैयार किया गया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगी।