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भारत में 6GHz स्पेक्ट्रम विवाद: Jio-Airtel और Apple-Meta के बीच टकराव

भारत में 6GHz स्पेक्ट्रम को लेकर Jio, Airtel और Vodafone Idea ने अमेरिकी टेक कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। यह विवाद 5G और 6G नेटवर्क के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि 6GHz बैंड की नीलामी से सरकार को राजस्व मिलेगा, जबकि विदेशी कंपनियां इसे Wi-Fi के लिए मुक्त करने की मांग कर रही हैं। TRAI सभी पक्षों की सुनवाई कर रहा है और जल्द ही अंतिम निर्णय करेगा। जानें इस विवाद के पीछे के तर्क और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत में 6GHz स्पेक्ट्रम विवाद: Jio-Airtel और Apple-Meta के बीच टकराव

भारत में 6GHz स्पेक्ट्रम विवाद

भारत में उच्च गति इंटरनेट के भविष्य को लेकर एक महत्वपूर्ण विवाद उत्पन्न हो गया है। 6GHz स्पेक्ट्रम को लेकर भारतीय टेलीकॉम कंपनियों और अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों के बीच तीव्र संघर्ष चल रहा है। यह विवाद केवल एक बैंड का नहीं है, बल्कि यह भारत के 5G और भविष्य के 6G नेटवर्क की दिशा को प्रभावित करेगा।


टेलीकॉम कंपनियों का आरोप

Jio, Airtel और Vodafone Idea ने Apple, Amazon, Meta, Intel और Cisco जैसी अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की है।


इनका कहना है कि ये विदेशी कंपनियां 6GHz बैंड की नीलामी का विरोध कर रही हैं, जिससे टेलीकॉम क्षेत्र को गंभीर आर्थिक नुकसान होगा।


टेलीकॉम कंपनियों का तर्क

5G के विस्तार और 6G की तैयारी के लिए 6GHz बैंड अत्यंत आवश्यक है।


नीलामी से सरकार को महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होगा।


Wi-Fi के लिए बैंड को पूरी तरह खोलने से मोबाइल नेटवर्क की गुणवत्ता प्रभावित होगी।


विदेशी OTT कंपनियों को अनुचित लाभ मिलेगा।


COAI ने स्पष्ट किया है कि यदि 6GHz बैंड Wi-Fi के लिए मुक्त कर दिया गया, तो भारत की मोबाइल सेवाओं का भविष्य संकट में पड़ सकता है।


Apple-Meta की दलील

Apple, Amazon और Meta की स्थिति इसके विपरीत है। वे चाहते हैं कि 6GHz स्पेक्ट्रम पूरी तरह से Wi-Fi के लिए मुक्त कर दिया जाए।


उनका तर्क है कि वैश्विक स्तर पर मोबाइल तकनीक अभी 6GHz पर काम करने के लिए तैयार नहीं है।


यह बैंड न तो व्यावसायिक रूप से और न ही तकनीकी रूप से परिपक्व है।


Wi-Fi को फ्री स्पेक्ट्रम मिलने से तेज इंटरनेट और सस्ती कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी।


TRAI और सरकार का रुख

सरकार ने पहले ही 6GHz के निचले 500 MHz हिस्से को लो-पावर Wi-Fi के लिए मुक्त कर दिया है, जिससे टेलीकॉम कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई हैं।


वर्तमान में TRAI सभी पक्षों की सुनवाई कर रहा है और आने वाले महीनों में अंतिम निर्णय करेगा।


विभिन्न कंपनियों के अलग-अलग प्रस्ताव भी सामने आए हैं:


Jio चाहता है कि पूरा 1200 MHz तुरंत नीलाम हो।


Vodafone Idea केवल 400 MHz की नीलामी की मांग कर रहा है।


Airtel और Qualcomm का मानना है कि भारत को वैश्विक मानकों के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए, और जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।


यह निर्णय अगले 10 वर्षों में भारत की इंटरनेट स्पीड और मोबाइल नेटवर्क की दिशा तय करेगा।