भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में रुचि दिखा रही प्रमुख ऑटो कंपनियां
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण की दिशा में कदम
स्कोडा, मर्सिडीज, किआ, और हुंडई जैसी कंपनियों का ऑटोमोबाइल क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। ग्राहक इनकी कारों को पसंद करते हैं, और इन कंपनियों को भारत में इनके उत्पादों का अच्छा बाजार मूल्य पता है। इसी कारण, इन कंपनियों ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) मॉडल विकसित करने की इच्छा व्यक्त की है। मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को जानकारी दी कि यूरोप की मर्सिडीज बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन (वीडब्ल्यू), और दक्षिण कोरिया की हुंडई और किआ ने भारत में ईवी निर्माण में रुचि दिखाई है.
अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की योजना का भारत पर सीमित प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत उस देश को बड़े पैमाने पर स्टील का निर्यात नहीं करता है.
वैश्विक निर्माताओं की रुचि
मंत्री ने कहा कि इन अंतरराष्ट्रीय कार निर्माताओं ने 'भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना' के संदर्भ में सरकार और उद्योग के बीच बातचीत के दौरान रुचि दिखाई है। इस योजना के तहत आवेदन करने की प्रक्रिया कुछ हफ्तों में शुरू होगी। अधिकारियों ने बताया कि सफल आवेदक दो से तीन वर्षों में भारत में अपनी फैक्ट्रियों से इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन कर सकते हैं.
निवेश के लिए दिशा-निर्देश
इस योजना के तहत, वैश्विक निर्माताओं को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, स्वीकृत आवेदकों को आवेदन स्वीकृति की तारीख से पांच वर्षों के लिए 15% की कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 डॉलर के सीआईएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई) मूल्य वाली पूरी तरह से निर्मित इलेक्ट्रिक कारों का आयात करने की अनुमति दी जाएगी। प्रति वर्ष कम शुल्क पर आयात की जाने वाली कारों की संख्या 8,000 इकाइयों तक सीमित होगी। स्वीकृत आवेदकों को योजना के अनुसार न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और इसके लिए बैंक गारंटी भी देनी होगी.
