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भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी: एक चिंताजनक स्थिति

भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी की स्थिति चिंताजनक है, जैसा कि वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की जेंडर गैप रिपोर्ट-2025 में दर्शाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत 131वें स्थान पर है, जिसमें केवल 35.1 प्रतिशत महिलाएं श्रम शक्ति में शामिल हैं। इनमें से अधिकांश स्वरोजगार में हैं और उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता। जानें इस रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े और महिलाओं की श्रम शक्ति में वास्तविक स्थिति।
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भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी: एक चिंताजनक स्थिति

महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी

भारत में श्रम शक्ति में महिलाओं का हिस्सा 35.1 प्रतिशत है, जिसमें से अधिकांश स्वरोजगार में हैं। इनमें से कई महिलाएं अपने घरेलू व्यवसायों में योगदान करती हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए कोई वेतन नहीं मिलता।


कामकाजी उम्र की महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी को कम आंकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इसके तहत कामकाजी व्यक्ति की परिभाषा में बदलाव किया गया है। घरेलू कार्यों में योगदान देने वाली महिलाओं को श्रम शक्ति में शामिल करने के लिए अवैतनिक स्वरोजगार की श्रेणी जोड़ी गई है। इससे सरकारी आंकड़ों में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया गया है। हालांकि, जब गहराई से अध्ययन किया जाता है, तो वास्तविकता सामने आती है।


वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (डब्लूईएफ) की जेंडर गैप रिपोर्ट-2025 इस विषय पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस रिपोर्ट में 148 देशों का सूचकांक तैयार किया गया है, जिसमें भारत को 131वां स्थान मिला है। यह सूचकांक भारत की कमजोर स्थिति को दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार, कामकाजी उम्र के 76.4 प्रतिशत पुरुष और 35.1 प्रतिशत महिलाएं श्रम शक्ति में शामिल हैं। इसका मतलब है कि 23.6 प्रतिशत पुरुष और 64.9 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत या नौकरी की तलाश में नहीं हैं।


कुछ लोग काम की आवश्यकता न होने के कारण नौकरी की तलाश नहीं करते, जबकि अधिकांश ऐसे होते हैं जो निराशा के बाद काम की खोज छोड़ देते हैं। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी का 35 प्रतिशत हिस्सा स्वरोजगार में है, जिसमें से 66 प्रतिशत महिलाएं अपने खेती या पति के व्यवसाय में योगदान करती हैं। उन्हें इसके लिए कोई वेतन नहीं मिलता। ऐसे काम को श्रम शक्ति का हिस्सा मानना विवादास्पद है। यह चर्चा अब पुरानी हो चुकी है, लेकिन डब्लूईएफ की रिपोर्ट ने इस पर फिर से ध्यान आकर्षित किया है।