मध्यप्रदेश के किसानों के लिए एचएयू की नई सरसों की किस्में

मध्यप्रदेश के लिए एचएयू की सौगात
हिसार, सरसों की किस्में: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) ने मध्यप्रदेश के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। विश्वविद्यालय ने अपनी उन्नत सरसों की किस्मों RH-1975 और RH-725 के बीजों को किसानों तक पहुंचाने के लिए नीमच, मध्यप्रदेश की कंपनी माई किसान एग्रो (एमकेडी सीड्स) के साथ एक समझौता किया है। कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि एचएयू के वैज्ञानिक लगातार नई और बेहतर फसल किस्में विकसित कर रहे हैं, जिससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आय में भी सुधार होगा।
समझौते की महत्वपूर्ण जानकारी
यह समझौता कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज की उपस्थिति में संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग और कंपनी की ओर से जसवंत सिंह चौधरी ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. विनोद मलिक, डॉ. रामअवतार, आईपीआर सेल के प्रभारी डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. रेणू मुंजाल और डॉ. जितेंद्र भाटिया भी उपस्थित थे।
RH-1975 और RH-725 की विशेषताएँ
एचएयू की सरसों की किस्म RH-1975 की औसत पैदावार 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ है, जबकि यह 14-15 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम है। इस किस्म में तेल की मात्रा 39.5% है, जो इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाती है। यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू और उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जिससे इन राज्यों के किसानों को लाभ होगा।
दूसरी ओर, RH-725 किस्म की फलियां लंबी होती हैं और इनमें दानों की संख्या अधिक होती है। दाने बड़े और तेल की मात्रा भी अधिक होती है। यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में 20-25% क्षेत्र में उगाई जाती है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह किसानों की पहली पसंद बनी हुई है।
किसानों के लिए लाभकारी पहल
एचएयू का यह कदम मध्यप्रदेश के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है। इन उन्नत किस्मों से न केवल पैदावार में वृद्धि होगी, बल्कि तेल की मात्रा अधिक होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। यह समझौता निजी कंपनियों और विश्वविद्यालयों के सहयोग से किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।