महाकुंभ भगदड़ में मृतकों की संख्या पर नया खुलासा
उत्तर प्रदेश में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या को लेकर नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 37 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन नई जानकारी के अनुसार, असल संख्या 82 तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई परिवारों को मुआवजा नहीं मिला और कुछ को जबरन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। जानें इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है।
Jun 10, 2025, 13:54 IST
| महाकुंभ भगदड़ की सच्चाई
यूपी में महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के मामले में एक नई रिपोर्ट सामने आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस घटना में 37 लोगों की जान गई थी, और उनके परिवारों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। हालांकि, बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि असल में मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, उस दिन कम से कम 82 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 26 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने किसी सदस्य को इस भगदड़ में खोया, लेकिन उनका नाम आधिकारिक मृतकों की सूची में नहीं था।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में 37 मौतों की पुष्टि की थी, और सरकार महाकुंभ को अपनी सफलता के रूप में पेश करती रही है। नई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के 50 से अधिक जिलों में जांच के दौरान सौ से ज्यादा परिवारों ने अपने प्रियजनों की मौत की पुष्टि की है। इनमें से 82 परिवारों ने ठोस सबूत भी पेश किए हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में चार अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ हुई थी। मुख्यमंत्री के अनुसार, 37 मृतकों में से 35 परिवारों को मुआवजा मिल चुका है। बीबीसी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 26 परिवारों को 5-5 लाख रुपये नकद दिए गए, और उनके पास यूपी पुलिस द्वारा दिए गए पैसे के फोटो और वीडियो भी हैं। कई परिवारों ने आरोप लगाया कि उनसे जबरन ऐसे कागजात पर हस्ताक्षर कराए गए, जिनमें मौत का कारण अचानक तबीयत खराब होना बताया गया। इसके अलावा, 19 परिवार ऐसे हैं जिन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला।
रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों के परिवारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: पहली श्रेणी में वे हैं जिन्हें 25-25 लाख रुपये मिले, दूसरी श्रेणी में वे हैं जिन्हें 5-5 लाख रुपये मिले, और तीसरी श्रेणी में वे परिवार हैं जिन्हें कोई सहायता नहीं मिली। 5-5 लाख रुपये पाने वाले 26 परिवारों में 18 उत्तर प्रदेश, 5 बिहार, 2 पश्चिम बंगाल और 1 झारखंड से हैं, लेकिन यह पैसे कानूनी तरीके से दिए जाने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। तीसरी श्रेणी में 19 परिवार ऐसे हैं जिन्हें सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मृतकों की संख्या 82 से अधिक हो सकती है, और जिन 82 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है, उनके लिए ठोस सबूत और चश्मदीद गवाह मौजूद हैं।