हरियाली अमावस्या: श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया पर्व

हरियाली अमावस्या का महत्व
आज 'हरियाली अमावस्या' का पावन पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। यह दिन प्रकृति और आध्यात्मिकता का संगम है, और इस अवसर पर मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। विशेष रूप से, खाटू श्याम जी के मंदिरों में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला, जहां भक्तों ने बाबा श्याम के अलौकिक 'हरियाली रूप' के दर्शन किए।सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। भक्तों ने पूरी आस्था के साथ देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की और अपनी मनोकामनाएं मांगीं। हरियाली अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाने और उनकी पूजा करने का विशेष महत्व होता है, इसलिए कई स्थानों पर लोगों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए वृक्षारोपण भी किया।
खाटू श्याम जी के मंदिरों में इस अवसर पर विशेष तैयारी की गई थी। बाबा श्याम का मनमोहक श्रृंगार किया गया था, जिसमें उन्हें हरे रंग के वस्त्रों और ताजे फूलों से सजाया गया था। यह 'हरियाली रूप' भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहा था। श्रद्धालु इस अनुपम दृश्य को देखकर भावविभोर हो गए।
कई मंदिरों में विशेष आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने बाबा श्याम की जय-जयकार की और उनकी परिक्रमा भी की। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति हमारी कृतज्ञता व्यक्त करने का भी अवसर है।
हरियाली अमावस्या पर मंदिरों में उमड़ी यह भीड़ भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाती है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी उजागर करता है और हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी पृथ्वी को हरा-भरा और स्वस्थ बनाए रखना चाहिए।