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चीन में कैंसर के इलाज की नई क्रांति: मात्र ₹11,000 में संभव!

चीन के वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे ऑन्कोलाइटिक वायरस थेरेपी कहा जाता है। यह तकनीक कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए वायरस का उपयोग करती है और मात्र ₹11,000 में इलाज संभव बनाती है। हाल ही में एक महिला पर इस तकनीक के सफल परीक्षण ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। जानें इस तकनीक के बारे में और इसके प्रभावी परिणामों के बारे में।
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कैंसर का इलाज: एक नई तकनीक की खोज

कैंसर को हमेशा से एक गंभीर और महंगे इलाज की आवश्यकता वाली बीमारी माना जाता रहा है। लेकिन अब चीन के वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। उन्होंने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसके माध्यम से कैंसर का इलाज केवल ₹11,000 में किया जा सकता है। इस तकनीक का नाम है ऑन्कोलाइटिक वायरस थेरेपी।


ऑन्कोलाइटिक वायरस थेरेपी की प्रक्रिया

ऑन्कोलाइटिक वायरस थेरेपी क्या है?


यह तकनीक वायरस को कैंसर के खिलाफ एक 'जैविक हथियार' के रूप में उपयोग करती है। वैज्ञानिकों ने ऐसे वायरस विकसित किए हैं जो सीधे कैंसर कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं, अपनी संख्या बढ़ाते हैं और अंततः उन कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा, ये वायरस ऐसे प्रोटीन भी उत्पन्न करते हैं जो शरीर की इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर अन्य कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करते हैं।


चीन में सफल परीक्षण

चीन में शानदार परिणाम


हाल ही में, चीन में 58 वर्षीय एक महिला पर इस तकनीक का प्रयोग किया गया, जिसे सर्वाइकल कैंसर था और पारंपरिक उपचार विफल हो चुके थे। इस थेरेपी के बाद महिला के शरीर से ट्यूमर पूरी तरह समाप्त हो गया और वह 36 महीनों तक जीवित रही। यह केस ग्वांग्शी मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर झाओ योंगशियांग की देखरेख में सामने आया।


चीन में इस तकनीक पर लगभग 60 क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, जिनमें लिवर, ओवेरियन और फेफड़ों के कैंसर के मरीजों पर सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। लगभग 90% मरीजों में ट्यूमर या तो घट गया या स्थिर हो गया।


कम लागत में प्रभावी इलाज

इस इलाज की विशेषता


जहां CAR-T जैसी अत्याधुनिक थेरेपी करोड़ों रुपये में उपलब्ध होती है, वहीं ऑन्कोलाइटिक वायरस थेरेपी का एक इंजेक्शन केवल ₹11,000 में मिल सकता है। सालभर का पूरा इलाज भी ₹3.3 लाख के भीतर हो सकता है। इस कम लागत और प्रभावी परिणामों के कारण, यह थेरेपी भविष्य में कैंसर के इलाज का नया मानक बन सकती है।