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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता पर सुनवाई: क्या मिलेगी अंतरिम राहत?

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का उल्लंघन बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की। सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए, जिसमें वक्फ की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और बोर्ड की सदस्यता पर चर्चा शामिल थी। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी। जानें इस मामले में और क्या हुआ।
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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 16 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन और सी. यू. सिंह जैसे प्रमुख वकीलों ने अपना पक्ष रखा। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं।


अंतरिम राहत की मांग

याचिकाओं में यह तर्क दिया गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं। मुस्लिम पक्ष ने अदालत से अंतरिम राहत की गुहार लगाई, लेकिन केंद्र ने पहले पूरी सुनवाई की आवश्यकता जताई। इस पर कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया, हालांकि अंतरिम आदेश की संभावना बनी हुई है। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी।


सुप्रीम कोर्ट के सवाल

करीब दो घंटे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे। CJI खन्ना ने पूछा कि यदि किसी स्थान पर वर्षों से वक्फ मौजूद है, तो उसे बिना उचित दस्तावेजों के कैसे रजिस्टर किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि इससे दुरुपयोग की संभावना है। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने उत्तर दिया कि यह विकल्प देता है कि वक्फ की जगह ट्रस्ट भी बनाया जा सकता है।


वक्फ बोर्ड की सदस्यता पर बहस

CJI और SG के बीच वक्फ बोर्ड की सदस्यता को लेकर एक गर्म बहस हुई। CJI ने पूछा कि जब बोर्ड में अधिकतर सदस्य मुस्लिम हैं, तो गैर-मुस्लिमों की भूमिका क्या होगी। इस पर SG ने तंज करते हुए कहा कि इस पीठ को भी यह मामला नहीं सुनना चाहिए। CJI ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम न्यायालय में बैठते हैं, तो धर्म से ऊपर होते हैं।


सभी वक्फ गलत नहीं

अंत में CJI ने यह भी पूछा कि जब हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में गैर-मुस्लिम नहीं होते, तो क्या मुस्लिमों को उनमें शामिल होने की अनुमति दी जाएगी? SG मेहता ने बताया कि यह कानून संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया है, जिसने देशभर से लाखों ज्ञापन प्राप्त कर समीक्षा की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट की वक्फ भूमि पर बनी होने की बात का भी उल्लेख किया और कहा कि सभी वक्फ गलत नहीं हैं, लेकिन चिंताएं वास्तविक हैं।