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2026 में चंद्र ग्रहण: जानें कब और कैसे करें पूजा

2026 में दो चंद्र ग्रहण होंगे, पहला 3 मार्च को फाल्गुन की पूर्णिमा पर और दूसरा 28 अगस्त को। जानें कैसे इन ग्रहणों के दौरान पूजा करनी चाहिए और सूतक काल के नियम क्या हैं। इस लेख में चंद्र ग्रहण के महत्व और धार्मिक क्रियाकलापों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
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2026 में चंद्र ग्रहण: जानें कब और कैसे करें पूजा

चंद्र ग्रहण की तिथियाँ


2026 में दो महत्वपूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे। पहला ग्रहण फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को, जो होलिका दहन के दिन है, और दूसरा श्रावण महीने की पूर्णिमा को होगा। फाल्गुन की पूर्णिमा पर होने वाला चंद्र ग्रहण भारत में देखा जा सकेगा। ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के समय ऊर्जा में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं।


पहला चंद्र ग्रहण

नए साल का पहला चंद्र ग्रहण 3 मार्च, 2026 को फाल्गुन की पूर्णिमा पर होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण दोपहर 3:20 बजे से शाम 6:47 बजे तक रहेगा।


इस दिन होलिका दहन भी मनाया जाएगा, और यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसे सूतक काल माना जाएगा। सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले से शुरू होता है, इसलिए होलिका दहन ग्रहण समाप्त होने के बाद करना उचित होगा।


दूसरा चंद्र ग्रहण

दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अगस्त, 2026 को होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन यह भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा।


सूतक काल में क्या न करें

शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल के दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए और नकारात्मक गतिविधियों से दूर रहना चाहिए। इस समय आध्यात्मिक चिंतन और ध्यान करना, रामचरितमानस का पाठ करना और शिव मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है। ग्रहण के दौरान बचे हुए खाने में तुलसी के पत्ते डालना चाहिए।


चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें

ग्रहण के समय केवल दिव्य मंत्रों का जाप करना चाहिए, जो विशेष फलदायी माने जाते हैं।


ग्रहण के बाद, शुद्ध पानी से स्नान करें, गरीबों को दान दें, मंदिरों में जाएं, कपड़े दान करें और पुजारियों को दक्षिणा दें।


ग्रहण के दौरान गायों को घास, पक्षियों को अनाज और जरूरतमंदों को कपड़े दान करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।